नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने धन शोधन मामले में कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व मंत्री डी के शिवकुमार की जमानत मंजूर किये जाने के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय की अपील शुक्रवार को खारिज कर दी तथा अपने फैसले को बिना पढ़े उसका कुछ अंश कॉपी-पेस्ट करने के लिए इस अभियोजन एजेंसी को कड़ी फटकार लगायी। दिल्ली उच्च न्यायालय ने शिवकुमार को गत 23 अक्टूबर को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था, जिसे अभियोजन एजेंसी ने शीर्ष अदालत में चुनौती दी है। न्यायमूर्ति रोहिंगटन फली नरीमन और न्यायमूर्ति एस रवीन्द्र भट की खंडपीठ ने ईडी को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि ईडी देश के नागरिकों के साथ इस तरह का व्यवहार नहीं कर सकता।
न्यायालय ने ईडी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि वह अपने अधिकारियों को शीर्ष अदालत के फैसलों को पढ़ने के लिए कहें। न्यायमूर्ति नरीमन ने सख्त लहजे में कहा, ‘‘हमारे फैसलों को हल्के में नहीं लिया जा सकता है। यह देश के नागरिकों के साथ व्यवहार करने का कोई अच्छा तरीका नहीं है।’’ न्यायमूर्ति नरीमन ने कहा, ‘‘आप डी के शिवकुमार मामले में पी चिदंबरम वाली दलीलें पेश कर रहे हैं, जो पूरी तरह कॉपी-पेस्ट है और इसमें बदलाव भी नहीं किया गया है।’’ शीर्ष अदालत ने प्राथमिकी खारिज किये जाने संबंधी डी के शिवकुमार की याचिका पर ईडी को नोटिस जारी किया।