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जीवाणु लायेगा उर्वरक के प्रयोग में कमी : महापात्रा

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Oct 23 2019 1:00AM | Updated Date: Oct 23 2019 1:00AM
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नई दिल्ली। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक त्रिलोचन महापात्रा ने आज कहा कि देश में एक ऐसा जीवाणु विकसित कर लिया है जिसके उपयोग से रासायनिक उर्वरकों के उपयोग में 25 प्रतिशत की कमी आयेगी और उत्पादकता में वृद्धि के साथ - साथ मिट्टी की उर्वरा शक्ति लम्बे समय तक बनी रहेगी। डा महापात्रा ने कृषि एवं उर्वरक मंत्रालय की ओर से आयोजित खाद का सही उपयोग जागरुकता कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि परिषद के उत्तर प्रदेश स्थिति एक संस्थान ने इस जीवाणु का विकास किया है। इस संबंध में प्रमाणिक दस्तावेज तैयार किये जा रहे हैं जिसे जल्द जारी किया जायेगा। 

उन्होंने कहा कि उर्वरकों के प्रयोग में कमी आने से कृषि लागत घटेगी जिससे किसानों का मुनफा बढेगा। इसके साथ ही रासायनिक उर्वरकों के अंधाधुंध उपयोग से जमीन के बंजर होने की घटनाओं में कमी आयेगी। उन्होंने कहा कि इस जीवाणु का उपयोग प्रमुख फसल धान, गेहूं, मक्का, चना, आलू, प्याज और टमाटर की भरपूर पैदावार लेने के लिए किया जा सकता है। इसके उपयोग से लम्बे समय तक मिट्टी की उर्वरा शक्ति बनी रहेगी। देश के 95 प्रतिशत खेतों में नाईट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी पायी जाती है जो चिन्ताजनक है। इन तत्वों की कमी से पौधों का सही विकास नहीं हो पाता है जिसका असर उत्पादन पर होता है। सही मात्रा में उर्वरकों के प्रयोग से 50 प्रतिशत उत्पादकता में वृद्धि हो सकती है। 
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