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कुपोषण से निपटने के लिए और अधिक काम करने की जरुरत: यूनिसेफ

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Oct 17 2019 2:06AM | Updated Date: Oct 17 2019 2:06AM
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नई दिल्ली। देश में राष्ट्रीय पोषण अभियान को आंशिक सफलता मिली है लेकिन स्कूल जाने की  आयु वाले बच्चों और किशोरों पर अभी भी कुपोषण का खतरा है और बहुत से क्षेत्रों  में अभी भी काम करने की जरूरत है। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय  ने  पहले समग्र राष्ट्रीय पोषण सर्वे (सीएनएनएस) के नतीजों के अनुसार जारी किए सर्वेक्षण के अनुसार 10-19 आयु वालों में चार में से एक किशोर  अपनी आयु की तुलना में दुबला-पतला है। दूसरी ओर 10-19 आयु के पांच प्रतिशत किशोर अधिक वजन वाले  या मोटे है। देश में रक्ताल्पता से पीड़ित बच्चों, किशोरों और महिलाओं की  अधिक संख्या चिंता का विषय है।
 
भोजन  की खराब आदतें आयरन एवं विटामिन सी से भरपूर भोजन और फल एवं सब्जियां  नहीं खाना और स्वास्थ्य सेवाओं तक सीमित पहुंच इस तरह  अनीमिया के प्रमुख कारण हैं। यह सर्वेक्षण यूनिसेफ की मदद से वर्ष 2016-18 के दौरान देशभर के  30 राज्यों  और केंद्र शासित प्रदेशों में कराया गया था। सीएनएनएस के अनुसार अनीमिया सबसे छोटे बच्चों  और किशोर लड़कियों को सबसे अधिक प्रभावित करता है। अनीमिया आयुवर्ग की  अपेक्षा 1-4 आयु के 41 प्रतिशत बच्चों में काफी अधिक है।
 
कुल मिलाकर 1-4  आयु के 41 प्रतिशत बच्चे , 5-9 आयु के 24 प्रतिशत और 10-19 आयु के 29  प्रतिशत किशोर अनीमिक थे। अनीमिया के पोषण संबंधी अन्य कारणों में  विटामिन बी 12 मापे गए। एक से 19 साल के बच्चों  और किशारों में विटामिन बी  12 की कमी 14 से 31 प्रतिशत तक पाई गई और किशारों में सबसे अधिक थी। स्कूल  जाने की आयु वाले बच्चों में गैर संचारी रोगों का खतरा बढ़ता हुआ पाया गया। यह 10 प्रतिशत प्री-डायबिटीज और उच्च ट्राईग्लीसराइड से पीडित है। चार  प्रतिशत किशोरों को उच्च कोलेस्ट्राल और उच्च कम घनत्व लिपोप्रोटरीन (एलडीएल  ) था। पांच प्रतिशत किशोरों में उच्च रक्तचाप पाया गया।
 
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