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देश में सड़क हादसों में लाखों लोगों की मौत, ब्रेन डेड मरीजों के अंगदान की व्यापक संभावनाएं

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Sep 22 2019 1:56AM | Updated Date: Sep 22 2019 1:56AM
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नई दिल्ली। भारत में सड़क दुर्घटनाओं में करीब 1.5 लाख लोगों की मौत हर वर्ष होती हैं और किसी भी समय प्रत्येक बड़े शहर में विभिन्न गहन चिकित्सा यूनिटों में आठ से 10 व्यक्तियों की मृत्यु ब्रेन डेथ के रूप में होती है। सभी अस्पतालों में होने वाली कुल मौतों में से करीब 4-6 प्रतिशत मस्तिष्क मृत्यु के रूप में सामने आती हैं जिसके मद्देनजर मृत व्यक्ति के अंगों के दान करने की व्यापक संभावनाएं हैं। दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान द्वारा कराए गए एक अध्ययन के अनुसार इनमें से करीब 65 प्रतिशत मौतें सिर में गंभीर चोट लगने से होती हैं। इसका अर्थ यह हुआ कि करीब 90 हजार रोगियों की मृत्यु मस्तिष्क आघात से होती है। 

इसे चिकित्सा शब्दावली में ब्रेन डेथ कहा जाता है जब व्यक्ति का मस्तिष्क 99 प्रतिशत समाप्त हो जाता है लेकिन शरीर के अन्य काम सामान्य तौर पर काम करते हैं, मसलन उसकी नब्ज चलती रहती है, दिल धड़क रहा होता है। ऐसे में उसके परिजनों का निर्णय बहुत महत्वपूर्ण होता है कि अपनी भावनाओं पर काबू पाकर उसके अंगदान का फैसला लिया जाए। एम्स के चिकित्सक डॉ शैलेन्द्र भदौरिया ने शनिवार को यूनीवार्ता को बताया कि इस समय देश के विभिन्न अस्पतालों में  मरीजों को सबसे अधिक आवश्यकता गुर्दों की हैं और इनमें बच्चों से लेकर युवा मरीज भी हैं जो अंगदान का इंतजार कर रहे हैं। एम्स में इस समय गुर्दा प्रत्यारोपण के  अलावा लीवर और हृदय प्रत्यारोपण किया जा रहा है और ल्यूकीमिया यानी श्वेत रक्त कणिकाओं के कैंसर  में ‘‘ बोन मैरो ट्रांसप्लांट’’ भी हो रहा है जिस पर आठ से10  लाख रूपए का खर्च आ रहा है। गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले मरीजों में यह निशुल्क किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि जब व्यक्ति ब्रेन डेड हो जाता है तो ऐसे में उसके परिजनों को उसके स्वस्थ अंगों का दान करने का फैसला ले लेना चाहिए क्योंकि अंतिम संस्कार के जरिए ये स्वस्थ अंग भी समाप्त हो जाते हैं और अगर समय रहते उन्हें जरूरतमंद मरीजों को दे दिया जाए तो ये कम से कम छह मरीजों को नया जीवन मिल सकता है। एम्स के जैरिएट्रिक विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ विजय कुमार ने बताया कि इस समय यूवा लोगों को अंग प्रत्यारोपण की सबसे अधिक आवश्यकता है लेकिन अंग दान के लिए परिवार के लोगों की सहमति जरूरी है। उन्होंने बताया कि इस समय एक्सीडेंट वाले मामले अधिक आ रहे हैं और ऐसे लोगों के सुरक्षित अंग यदि समय रहते निकाल कर मरीजों में प्रत्यारोपित कर जाए तो दान कर्ता व्यक्ति अमर हो जाता है।

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