नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सबका साथ ,सबका विकास और सबका विश्वास स्लोगन पर आज राज्यसभा में सवाल उठाते हुए कहा कि आखिर अब उन्हें अल्पसंख्यकों का विश्वास हासिल करने की क्या जरूरत पड़ी है। कांग्रेस नेता ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए गुरूवार को कहा कि अल्पसंख्यकों से दूरी बनाते रहे प्रधानमंत्री अब अल्पसंख्यकों का विश्वास हासिल करने की बात कर रहे हैं और अल्पसंख्यक समुदाय के छात्रों के लिए छात्रवृति की घोषणा कर रहे हैं, संविधान के समक्ष नतमस्तक हो रहे हैं। उन्होंने व्यंग्य के लहजे में कहा मैं उन्हें बधाई देता हूं लेकिन क्या यह परिवर्तन है या कोई जुमला है।
यदि यह परिवर्तन है तो प्रधानमंत्री को कथनी को करनी में बदलना होगा। झारखंड में एक समुदाय के व्यक्ति की पिटायी की घटना का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि यदि इस तरह की घटनाएं होंगी तो विश्वास कैसे पैदा होगा। लोकसभा में सदस्यों के शपथ लेने के दौरान ‘जय श्री राम’ और ‘अल्लाहहू अकबर’ के नारों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह अप्रत्याशित है। जम्मू- कश्मीर का जिक्र करते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि मोदी सरकार ने पांच साल पहले कश्मीरी पंडितों की वापसी का वादा किया था। सरकार को बताना चाहिए कि अब तक कितने पंडित परिवार कश्मीर लौटे हैं। राज्य से आतंकवाद को खत्म करने के मोर्चे पर भी सरकार विफल रही है और इस दौरान आतंकवाद की घटनाओं में 177 फीसदी की बढोतरी हुई है।
पुलवामा आतंकवादी हमले के लिए सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए उन्होंने कहा कि गत 8 जनवरी को खुफिया एजेन्सियों ने सरकार और सुरक्षा बलों को आगाह किया था कि वे तैनाती या कहीं भी आवागमन से पहले उस क्षेत्र की जांच पड़ताल करा लें। उन्होंने कहा कि इस खुफिया जानकारी पर ध्यान क्यों नहीं दिया गया। बेरोजगारी के मुद्दे पर सरकार को पूरी तरह विफल बताते हुए उन्होंने कहा कि पिछले 45 सालों में देश में बेरोजगारी की दर कभी इतनी ज्यादा नहीं रही। सरकार की गलत नीतियों से ओएनजीसी और एचएएल जैसे सार्वजनिक उपक्रमों की हालत खराब होती जा रही है।