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प्रत्यक्ष कर संहिता और जीएसटी सरलीकरण पर हो जोर: अर्थशास्त्री

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Jun 15 2019 1:03AM | Updated Date: Jun 15 2019 1:03AM
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नई दिल्ली। अर्थशास्त्रियों से सरकार को चालू वित्त वर्ष के बजट में जीएसटी को सरल बनाने, प्रत्यक्ष कर संहिता को लागू करने, वित्तीय सुदृढ़ीकरण को जारी रखने, वृहद आर्थिक स्थिरीकरण और दीर्घकालिक विकास के लिए ढांचागत सुधार को जारी रखते हुये रोजगार सृजन वाले क्षेत्रों को प्रोत्साहित करने की सलाह दी है। वित्त मंत्री निर्मला सीमारमण के साथ शुक्रवार को बजट पूर्व चर्चा में अर्थशास्त्रियों ने इस बजट को इस तरह से तैयार करने का सुझाव दिया जिससे अगले पांच वर्षा की रूपरेखा दिखे। उन्होंने मेक इन इंडिया के तहत विनिर्माण को प्रोत्साहित करने के साथ ही रोजगार सृजन आधारित विकास पर ध्यान केन्द्रित करने की सलाह दी।

अर्थशास्त्रियों ने टैरिफ सुधार करने, आपूर्ति श्रृखंला की बाधाओं को दूर करने, वस्त्रों पर लग रहे विशेष शुल्क को समाप्त करना, समग्र विकास के लिए अंतरराज्यीय परिषद को पुनर्गठित करने, कौशल विकास पर ध्यान केन्द्रित करते हुये रोजगार को गति देने, सेवा और विनिर्माण क्षेत्र में तीव्र बढ़ोतरी के उपाय करने, कर दरों में स्थिरता लाने, अधिक श्रम वाले क्षेत्रों को बढ़ावा देने, स्वतंत्र वित्तीय नीति समिति गठित करने, डिजिटल लेनदेन को प्रोत्साहित करने, एनबीएफसी के लिए आईबीसी जैसी व्यवस्था करने, बैंकों में पूजी निवेश करने और ई कामर्स के जरिये रोजगार सृजन पर बल देने जैसे सुझाव भी दिये।

इस बैठक में भाग लेने वालों में नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार, वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग, राजस्व सचिव अजय भूषण पांडेय, वित्तीय सेवाओं के सचिव राजीव कुमार, व्यय सचिव गिरीश चंद्र मुर्मू , दिपम सचिव ए चक्रवर्ती, केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के अध्यक्ष प्रमोदी चंद्र मोदी, केन्द्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड के अध्यक्ष पी के दास और मुख्य आर्थिक सलाहकार के वी सुब्रमण्यम तथा वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। 

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