नई दिल्ली। कांग्रेस ने चुनाव आयोग द्वारा मतगणना के समय पहले वोटर वेरिफायेबल पेपर ऑडिट ट्रायल्स (वीवीपैट) की पर्चियों का मिलान इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से कराने की 22 विपक्ष दलों की मांग ठुकराने को लोकतंत्र के लिए काला दिवस बताते हुए कहा है कि ‘कमजोर’ चुनाव आयोग ने यह कमजोर निर्णय लिया है। कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने बुधवार को यहां पार्टी मुख्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अब तक पार्टी को आयोग की तरफ से इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गयी है लेकिन मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार आयोग ने वीवीपैट की पर्चियों का मिलान पहले कराने की मांग अस्वीकर कर दी है।
सूत्रों के अनुसार, आयोग की आज यहां पूर्ण बैठक हुई जिसमें पहले की तरह मतों की गिनती पूरी होने के बाद वीवीपैट की पर्चियों का मिलान ईवीएम से करने का फैसला लिया गया है। सिंघवी ने कहा कि यह संवैधानिक संस्था अब पूरी तरह से कमजोर हो गयी है इसलिए उसके फैसले भी ‘कमजोर’ आ रहे हैं। वीवीपैट का मिलान मतगणना शुरू होने से पहले किया जाता तो इससे पारदर्शिता की स्थिति और साफ होती तथा निष्पक्ष चुनाव को लेकर आयोग की साख पर सवाल उठने बंद हो जाते।
ईवीएम की विश्वसनीयता और मजबूत होती तथा इसको लेकर उठ रहे सवालों का जवाब भी मिल जाता लेकिन दुर्भाग्य से एक ‘कमजोर’ आयोग का फैसला भी कमजोर ही साबित हुआ है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग के फैसले भले ही कमजोर नजर आ रहे हैं लेकिन पार्टी ने संवैधानिक संस्थाओं को बचाने की अपनी लड़ाई जीती है। मोदी सरकार ने संवैधानिक संस्थाओं को खत्म करने के लिए पिछले पांच साल में जो अभियान शुरू किया था कांग्रेस उसको रोकने में सफल रही है। पार्टी ने इन संस्थानों को बचाने के लिए काम किया है और इसमें वह कामयाब रही है।