नई दिल्ली। उत्तर पूर्वी दिल्ली में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष शीला दीक्षित और भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी के आमने-सामने होने से लोकसभा की इस सीट पर पूरे देश की नजरें लग गई हैं। भाजपा ने सत्रहवीं लोकसभा के लिए उत्तर पूर्व दिल्ली की सीट पर एक बार फिर मौजूदा सांसद तिवारी पर भरोसा जताया है, वहीं कांग्रेस ने उनके मुकाबले तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं एवं मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष श्रीमती दीक्षित को टिकट दिया है।
आम आदमी पार्टी (आप) के तेज तर्रार नेता दिलीप पांडे के यहां मैदान में होने से इस बार की लड़ाई और रोमांचक होने की उम्मीद है। वर्ष 2008 में परिसीमन के बाद उत्तर पूर्वी दिल्ली संसदीय सीट का गठन हुआ था और 2009 में पहली बार इस सीट पर यहां हुए चुनाव में कांग्रेस के जय प्रकाश अग्रवाल ने भाजपा के बैकुंठ लाल शर्मा ‘प्रेम’ को 222243 वोटों से हराया था। अग्रवाल का 518191 मत मिले थे जबकि प्रेम को 295948 वोट मिले। मोदी लहर के बीच अग्रवाल 2014 में यहां टिक नहीं पाये।
अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी(आप) के मैदान में आने से दिल्ली में पहली बार संसदीय चुनाव में मुकाबला त्रिकोणीय हुआ। भाजपा के टिकट पर लड़े तिवारी ने आप के प्रो. आनंद कुमार को 144084 वोटों के अंतर से हराया। तिवारी को 596125 और कुमार को 452041 वोट मिले। अग्रवाल 214792 वोट हासिल कर तीसरे स्थान पर रहे। दिल्ली में 2009 के आम चुनाव में कांग्रेस ने सातों सीटों पर जीत हासिल की थी जबकि 2014 में उसे एक भी सीट नसीब नहीं हुआ।
अग्रवाल को कांग्रेस ने इस बार चांदनी चौक से टिकट दिया है। श्रीमती दीक्षित 1998 में, जब इस संसदीय सीट के अधिकांश इलाके पूर्वी दिल्ली लोकसभा के दायरे में आते थे, पूर्वी दिल्ली अपनी किस्मत आजमा चुकी हैं। उस समय श्रीमती दीक्षित को भाजपा के लाल बिहारी तिवारी के हाथों शिकस्त मिली थी। उत्तर पूर्वी दिल्ली में अधिकांश अवैध कालोनियां और पिछड़े इलाके हैं। इस संसदीय सीट के तहत दस विधानसभा क्षेत्र बुराड़ी, तिमारपुर, सीमापुरी, रोहताश नगर, सीलमपुर, घोंडा, बाबरपुर, गोकुलपुर, मुस्तफाबाद और करावल नगर आते हैं।