लंदन। पहले शिखर धवन फ्लॉप, मुरली विजय फ्लॉप और लोकेश राहुल भी फ्लॉप... इन भारतीय ओपनरों की नाकामी ने विश्व की नंबर एक टेस्ट टीम भारत को इंग्लैंड के खिलाफ पांच मैचों की सीरीजÞ में 0-2 से पीछे कर दिया है। भारत बर्मिंघम में पहला टेस्ट 31 रन और लार्ड्स में दूसरा टेस्ट पारी और 159 रन से हार गया। इन दोनों ही मैचों में भारत के शीर्ष क्रम का प्रदर्शन बेहद खराब रहा जिसका असर बाद के बल्लेबाजों पर साफ नजर आया।
बर्मिंघम में कप्तान विराट कोहली ने शतकीय पारी खेलकर भारत को कुछ हद तक पतन से बचाया लेकिन वह टीम की हार नहीं टाल सके। लार्ड्स में विराट दोनों पारियों में विफल रहे और भारतीय बल्लेबाजी पूरी तरह ढेर हो गयी। सीरीज शुरू होने से पहले यह कहा जा रहा था कि इंग्लैंड की परिस्थितियों में ओपनरों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी लेकिन टीम इंडिया के तीन ओपनरों शिखर, मुरली और राहुल अपने आप से न्याय नहीं कर पाये। तीनों की हालत यह रही कि उन्हें इंग्लैंड के तेज गेंदबाजों की स्विंग का कोई अंदाजा नहीं था।
भारत के सामने समस्या है कि अगले टेस्ट के लिए ओपनिंग में किसे भेजे
पहले टेस्ट में शिखर और विजय ओपनिंग में उतरे। शिखर ने 26 और 13 तथा विजय ने 20 और 6 रन बनाये। पहली पारी में सैम करेन ने इन दोनों को निपटाया जबकि दूसरी पारी में स्टुअर्ट ब्रॉड ने भारतीय ओपनरों को पवेलियन भेज दिया। तीसरे नंबर पर उतरे राहुल चार और 13 रन ही बना सके। शिखर इससे पहले अभ्यास मैच में दोनों पारियों में शून्य पर आउट हुये। लार्ड्स के दूसरे टेस्ट में शिखर को बाहर कर राहुल को ओपनिंग में आजमाया गया लेकिन हालात जस के तस रहे। विजय दोनों पारियों में अपना खाता नहीं खोल सके और जेम्स एंडरसन का शिकार बने। राहुल ने आठ और 10 रन बनाये। राहुल को भी दोनों पारियों में एंडरसन ने आउट किया। अब भारत के सामने यह समस्या है कि वह तीसरे टेस्ट में ओपंिनग में किसे आजमाये।
ओपनरों का विदेशी जमीन पर फ्लॉप होना कोई नई बात नहीं है। भारत का पिछला इतिहास भी गवाह है कि ओपनरों ने विदेशी जमीन पर अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है। इंग्लैंड में 2014 में खेली गयी पिछली सीरीजÞ में भारतीय ओपनरों ने बेहद निराशाजनक प्रदर्शन किया था और भारत 1-3 से सीरीज हार गया।
इस साल जनवरी में दक्षिण अफ्रीका दौरे में भी भारत को अपनी ओपंिनग जोड़ी से परेशानी झेलनी पड़ी। भारत लंबे समय से एक स्थिर ओपंिनग जोड़ी की तलाश में है जो उसे अच्छी शुरूआत दे सके। भारत ने मुरली और शिखर को लगातार आजमाया है लेकिन दोनों बल्लेबाजÞ घरेलू पिचों पर तो बेहतर प्रदर्शन करते हैं। मगर विदेशी जमीन पर उनका तालमेल जैसे नदारद हो जाता है।
वर्ष 2014 की सीरीज में इंग्लैंड की जमीन पर पहले टेस्ट में मुरली ने 146 और 52 रन बनाये थे जबकि शिखर ने 12 और 29 रन बनाये थे। पहली पारी में दोनों ने ओपनिंग साझेदारी में 33 और दूसरी पारी में 49 रन जोड़े। यह मैच ड्रॉ रहा। इस पूरी सीरीज में पांच मैचों में भारत की ओर से पहले टेस्ट में 49 रन की ओपनिंग साझेदारी ही सबसे बड़ी ओपनिंग साझेदारी रही। दूसरे टेस्ट में मुरली ने 42 और 95 तथा शिखर ने 7 और 31 रन बनाये। दोनों ने पहली पारी में 11 और दूसरी पारी में 40 रन जोड़े। भारत ने यह मैच जीता।
स्थिर ओपनिंग जोड़ी की तलाश में टीम इंडिया
तीसरे टेस्ट में मुरली ने 35 और 12 तथा शिखर ने 6 और 37 रन बनाये। दोनों ने पहली पारी में 17 और दूसरी पारी में 26 रन जोड़े। इंग्लैंड ने यह टेस्ट 266 रन से जीत लिया। चौथे टेस्ट में शिखर को टीम से हटा दिया गया और उनकी जगह गौतम गंभीर को लाया गया। लेकिन हालात नहीं बदले। मुरली ने 0 और 18 तथा गंभीर ने 4 और 18 रन बनाये। दोनों ने ओपनिंग में पहली पारी में 8 और दूसरी पारी में 26 रन जोड़े। भारत चौथा टेस्ट पारी और 54 रन से हार गया। भारत को पांचवें टेस्ट में भी पारी और 244 रन से हार का सामना करना पड़ा।
इस मैच में मुरली ने 18 और 2 तथा गंभीर ने 0 और 3 रन बनाये। दोनों पारियों में ओपनिंग साझेदारी 3 और 6 रन की रही। भारत ने इस साल के शुरू में जब दक्षिण अफ्रीका का दौरा किया तो उसने यह सीरीज 1-2 से गंवायी। पहले टेस्ट में मुरली ने 1 और 13 तथा शिखर ने 16 और 16 रन बनाये। ओपनिंग साझेदारी 16 और 30 रन की रही। भारत यह मैच 72 रन से हार गया। दूसरे टेस्ट में शिखर की जगह लोकेश राहुल को ओपनिंग में उतारा गया लेकिन हालात जस के तस रहे। मुरली ने 46 और 9 तथा राहुल ने 10 और 4 रन बनाये। ओपनिंग साझेदारी 28 और 11 रन की रही। तीसरे टेस्ट में विजय ने 8 और 25 रन बनाये जबकि पहली पारी में राहुल ओपनिंग में उतरकर खाता नहीं खोल सके और दूसरी पारी में पार्थिव पटेल ओपनिंग में उतरे लेकिन 16 रन बनाये।