नई दिल्ली। बीसीसीआई के कार्यकारी सचिव अमिताभ चौधरी ने 12 जून को बेंगलुरु में होने वाले एमएके पटौदी स्मृति व्याख्यान में वार्षिक मुख्य व्याख्यान देने के लिए महाप्रबंधक (क्रिकेट संचालन) सबा करीम द्वारा प्रस्तावित चार नामों पर कड़ी आपत्ति जताई है। यह व्याख्यान अफगानिस्तान के खिलाफ एकमात्र टेस्ट से पहले और वार्षिक पुरस्कार समारोह के दौरान होगा।
इसमें बीते समय के नामी गिरामी क्रिकेटर खेल पर व्याख्यान देते हैं। करीम ने कई ईमेल किए, जिनमें पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली, इंग्लैंड के पूर्व कप्तान नासिर हुसैन और केविन पीटरसन के साथ श्रीलंकाई कप्तान कुमार संगकारा के नामों का प्रस्ताव दिया गया है। उन्होंने तीन विषयों का चयन किया। इनमें क्रिकेट के जरिये शांति और स्थायित्व, आधुनिक युग में अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों का व्यवहार और आचरण और ओलंपिक खेल के रूप में क्रिकेट-आगे का रास्ता शामिल हैं। सीओए सदस्य डायना इडुल्जी ने संगकारा का नाम दिया, जिसे सीओए प्रमुख विनोद राय ने भी पसंद किया।
करीम के विकल्प अमिताभ को पसंद नहीं
झारखंड के पूर्व शीर्ष पुलिस अधिकारी अमिताभ ने अपने मेल में साफ किया है कि सभा को संबोधित करने के लिए गुजरे जमाने के दिग्गजों को आमंत्रित करना चाहिए, क्योंकि यह कोई ‘भाषण प्रतियोगिता’ नहीं है। दिलचस्प बात है कि कार्यकारी अध्यक्ष सीके खन्ना और कोषाध्यक्ष अनिरुद्ध चौधरी को करीम द्वारा दिए गए विकल्पों से कोई परेशानी नहीं है। खिलाड़ियों के व्यवहार पर बोलने के लिए खन्ना संगकारा या गांगुली को, जबकि अनिरुद्ध गांगुली या पीटरसन को चाहते हैं। हालांकि, अमिताभ ने अपने ईमेल में स्पष्ट किया कि करीम के विकल्प उन्हें पसंद नहीं हैं।
करीम ने मांगे थे सुझाव
अमिताभ तब और भी परेशान हुए होंगे जब करीम ने उनसे उनका सुझाव मांगे थे, वह पहले ही कुछ नाम दे चुके थे, लेकिन अंतिम सूची तैयार करते समय जीएम (क्रिकेट संचालन) ने उन्हें नजरअंदाज कर दिया था। अमिताभ ने सीओए और पदाधिकारियों, जिनमें सीईओ राहुल जौहरी और करीम भी शामिल हैं, को भेजे अपने ईमेल में लिखा, ह्यजब दो दिन पहले बेंगलुरु में मामले पर मुझसे चर्चा की गई थी तो मैंने सुझाव दिया था कि हम नरी कांट्रेक्टर, चंदू बोर्डे, ईरापल्ली प्रसन्ना और अब्बास अली बेग जैसे प्रतिष्ठित क्रिकेटरों के बीच संभावित वक्ता की तलाश करते हैं।
भाषण कौशल को महत्वकरीम की सिफारिश का आधार ऐसे कद के पूर्व टेस्ट क्रिकेटर थे, जो कमेंटेटर, कोच या प्रशासक हैं। ऐसे में कार्यवाहक सचिव ने महसूस किया कि भाषण के कौशल को ही अधिक महत्व दिया जा रहा है। अमिताभ ने लिखा, दुर्भाग्य से जब प्रस्ताव आया तो उसमें इन पूर्व क्रिकेटरों के बारे में कुछ नहीं लिखा था। जैसा कि मैं समझता हूं कि टाइगर स्मृति व्याख्यान कोई भाषण प्रतियोगिता नहीं है और इस पर हम सभी को ध्यान देना चाहिए।