नई दिल्ली। बीसीसीआई क्रिकेट टीम की फिटनेस के साथ किसी तरह का कोई समझौता नहीं करना चाहता है। बोर्ड हर खिलाड़ी की फिटनेस लेवल के बनाए रखने के लिए डीएनए टेस्ट करा रहा है। इस टेस्ट का मकसद हर खिलाड़ी के फिटनेस को बेहतर बनाना है।
इस टेस्ट से खिलाड़ी को अपनी रफ्तार को बढ़ाने, मोटापा कम करने और मांसपेशियों को मजबूत बनाने में मदद मिलती है। पता चला है कि बीसीसीआई ने टीम ट्रेनर शंकर बासु की सिफारिश पर ये टेस्ट को शुरू किया है।
डीएनए टेस्ट या आनुवंशिक फिटनेस टेस्ट से 40 साल से अधिक उम्र के व्यक्ति की फिटनेस, स्वास्थ्य और पोषण से संबंधित तथ्यों के बारे में पता किया जा सकेगा। इसके बाद हर खिलाड़ी के डीएनए आंकड़ों को एक व्यक्ति विशेष का वजन और खानपान जैसे आंकड़ों के साथ मिलाया जाएगा।
बीसीसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि, हां, हमने टीम के लिए पिछले कुछ समय से डीएनए टेस्ट शुरू किया है। यह फिटनेस के नए मापदंडों के अनुसार किया जा रहा है जिन्हें टीम प्रबंधन ने तय किया है।
उन्होंने कहा, शंकर बासु ने यह आइडिया दिया और यह काफी लाभकारी साबित हुआ है। हर खिलाड़ी के टेस्ट में बीसीसीआई को 25 से 30 हजार रूपए के बीच खर्च करना पड़ रहा है जो कि काफी कम रकम है। इससे पहले टीम इंडिया का शरीर में वसा के प्रतिशत का पता करने के लिए स्किनफोल्ड टेस्ट और बाद में डेक्सा टेस्ट होता था।