नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड(बीसीसीआई) ने वर्ल्ड एंटी डोपिंग एजेंसी (वाडा) की बात ना मानकर नया मुद्दा खड़ा कर दिया है। वाडा ने क्रिकेटरों को डोप टेस्ट में शामिल करने के लिए कहा, लेकिन बीसीसीआई नहीं मानी। इस कारण आने वाले समय में क्रिकेटरों को बोर्ड के अड़ियल रवैये की वजह नुक्सान झेलना पड़ सकता है।
नाडा की मान्यता हो सकती है रद्द
वाडा ने इस मुद्दे पर खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठाैर आैर आईसीसी को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि वह बीसीसीआई को इस बात के लिए राजी किया जाए कि वह भारतीय क्रिकेटरों के डोप टेस्ट की मंजूरी दे। साथ ही चेतावनी भी दी गई है कि अगर बीसीसीआई को इसके लिए तैयार नहीं किया जा सका ताे वह भारत की नेशनल एंटी डोपिंग एजेंसी (नाडा) की मान्यता रद्द कर देगी।
पत्र पढ़कर खेल मंत्री ने लिया एक्शन
वाडा द्वारा भेजे गए पत्र को पढ़कर खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठाैर ने तुरंत एक्शन लिया आैर उन्होंने पूर्व खेल सचिव इंजेती श्रीनिवास को बीसीसीआई से इस मामले पर बात करने की जिम्मेदारी सौंपी है। श्रीनिवास अभी कुछ समय पहले ही कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय में पदस्थ किए गए हैं। लेकिन इसके बावजूद उन्होंने खेल मंत्री के आग्रह पर बीसीसीआई के प्रशासकों की समिति (सीओए) के प्रमुख विनोद राय को पत्र लिखकर जल्द से जल्द मसले का हल निकालने का आग्रह किया है।
क्या है वाडा?
अंतरराष्ट्रीय खेलों में ड्रग्स के बढ़ते चलन को रोकने के लिए बनाई गई एक विश्वस्तरीय स्वतंत्र संस्था है। अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति द्वारा वाडा की स्थापना 10 नवंबर, 1999 को स्विट्जरलैंड के लुसेन शहर में की गई थी। वर्तमान में वाडा का मुख्यालय कनाडा के मॉन्ट्रियल शहर में है। यह संस्था विश्व भर में वैज्ञानिक शोध, एंटीडोपिंग के विकास की क्षमता में वृद्धि और दुनिया भर में वर्ल्ड एंटी डोपिंग कोड पर अपनी निगाह रखती है। वाडा हर साल प्रतिबंधित दवाओं की सूची जारी करता है, जिनके विश्व के तमाम देशों में खेलों के दौरान प्रयोग पर रोक होती है। पहली जांच में ही दोषी पाये जाने पर खिलाड़ी पर वाडा सभी खेल प्रतियोगिता में दो वर्षो तक भाग लेने पर प्रतिबंध लगा सकता है।