वाराणसी। भारतीय महिला बास्केटबाल टीम की कप्तान प्रशांति सिंह को अर्जुन अवार्ड के लिए चुने जाने पर काशीवासी खुद को सम्मानित और गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। प्रशांति उत्तर प्रदेश की पहली और देश की तीसरी बास्केटबाल खिलाड़ी हैं जिन्हें यह प्रतिष्ठापरक सम्मान मिलेगा। इनके पूर्व सुमन को 1983 और गीतू को 2014 में यह अवार्ड मिला था। सिंह सिस्टर्स में तीसरे नंबर की प्रशांति को यह अवार्ड तीन साल पहली ही मिल जाना चाहिए था, लेकिन फेडरेशन में विवाद की वजह से यह देर हुई, इसका उन्हें दुख है। वाराणसी में रविकर दुबे ने नई दिल्ली में कार्यरत प्रशांति से फोन पर बातचीत की
ऐसा नहीं है कि हमारी पैदाइश दिल्ली में हुई। हमने बनारस में उस समय बास्केटबाल सीखी जब यहां लड़कियों को खेल में उत्साहित करने वाले कम थे। 1997-98 में हम बहनों ने यूपी कालेज में अभ्यास शुरू किया। उस वक्त यहां भारतीय खेल प्राधिकरण के कोच अमरजीत सिंह ने हमें बहुत प्रमोट किया। हम बहनों- दिव्या, आकांक्षा व प्रतिमा की देखा-देखी शिवपुर और आसपास की लड़कियां भी कोर्ट पर पहुंचने लगीं। इसी बीच दिव्या ने मिनी नेशनल में यूपी का प्रतिनिधित्व किया। वह हम लोगों की रोल मॉडल बन गयी। उसके बाद से तो हम लोगों ने अपना अभ्यास और बढ़ा दिया। सभी को नेशनल खेलने का जुनून सवार था। 1998 में मैंने मिनी नेशनल खेली। उसके बाद भारत की जूनियर और फिर सीनियर टीम का प्रतिनिधित्व और फिर कप्तानी की।