नई दिल्ली। मंगवार यानी 4 जुलाई को भारतीय टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी और साक्षी के शादी को 7 साल पूरे होने पर सालगिरह मना रहे हैं। 2010 में 4 जुलाई के ही दिन दोनों ही परिणय सूत्र में बंध गए थे, जिसके बाद से लेकर अबतक दोनों की जोड़ी सबसे कपल कहलाए हैं। धोनी-साक्षी की मुलाकात कब, कैसे, कहां हुई, कुछ ही लोगों को मालूम होगा। लेकिन कोई एक शख्स ऐसा है, अगर वह दोनों जोड़ने के लिए कुछ ऐसे कदम न उठाए होते तो शायद धोनी-साक्षी की लव स्टोरी अधूरी रह जाती। आइए बताते हैं आखिर किसकी वजह से बचपन में बिछड़ने के बाद दोबारा मिल सके।
भारत और पाकिस्तान के बीच साल 2008 में कोलकाता के ईडन गार्डेन मैदान में मैच होना था, इत्तेफाक से बतौर कप्तान धोनी और पूरी भारतीय टीम ताज बंगाल होटल में ही रुके थे। युद्धजीत दत्ता ही वही नाम है जिसने धोनी और साक्षी को मिलवाया, क्योंकि युद्धजीत दोनों के ही कॉमन फ्रेंड थे।
युद्धजीत से महेंद्र सिंह धोनी ने बाद में साक्षी का मोबाइल नंबर लिया और बातचीत आगे बढ़ाने के लिए सबसे पहले धौनी ने ही मैसे किया। साक्षी को भरोसा नहीं हुआ कि भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान होने के बावजूद सबसे पहले इंट्रेस्ट उनकी तरफ से दिखा और मैसेज किया। दोनों की प्रेम कहानी की शुरूआत यहीं से हुई और दोनों ही 4 जुलाई 2010 को जीवनसाथी बन गए।
आपको बता दें कि महेंद्र सिंह धोनी और साक्षी झारखंड के रांची जिले में एक ही स्कूल डीएवी श्यामली स्कूल में पढ़ाई करते थे। लेकिन कुछ समय बाद साक्षी का परिवार रांची शहर छोड़कर उत्तराखंड के देहरादून में जाकर बस गए। रांची के बाद साक्षी की आगे की पढ़ाई यही वेलहेम में हुई। देहरादून में साक्षी के दादा वन विभाग में रिटायर्ड ऑफिसर थे। साक्षी देहरादून में पढ़ाई करने के बाद औरंगाबाद से इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट का कोर्स किया और ट्रेनिंग के लिए कोलकाता गईं। जहां उन्होंने यहां के ताज बंगाल होटल में ट्रेनिंग पूरी किया।