मुंबई। क्रिकेट के भगवान माने जाने वाले सचिन तेंदुलकर ने बुधवार को एक बड़ा खुलासा किया है। 24 सालों तक भारतीय दर्शकों के लिए क्रिकेट का दूसरा नाम रहे सचिन ने खुलासा किया है कि वह 1999 में ऑस्ट्रिलिया में हुई सीरीज को अपने करियर की सबसे मुश्किल सीरीज मानते हैं। सचिन तेंदुलकर की बायोपिक 'सचिन अ बिलियन ड्रीम्स' 26 मई को पांच भाषाओं में एक साथ रिलीज हो रही है।
मुंबई में एक कार्यक्रम के दौरान तेंदुलकर ने बताया कि 1999 में ऑस्ट्रेलिया दौरा सबसे मुश्किल था, तब ऑस्ट्रेलियाई टीम टीम बेजोड़ थी। उनकी टीम में सात से आठ मैच विजेता थे और बाकी खिलाड़ी भी काफी अच्छे थे। यह ऐसी टीम थी जिसने विश्व क्रिकेट में कई सालों तक दबदबा बनाकर रखा था। उनकी खेलने की अपनी शैली थी, काफी आक्रामक। स्टीव वा की कप्तानी में ऑस्ट्रेलियाई टीम ने 3-0 से यह सीरीज अपने नाम की थी।
सचिन तेंदुलकर ने कहा कि उन्हें अच्छी तरह से याद है कि मेलबर्न, एडिलेड और सिडनी में ऑस्ट्रेलिया ने जिस तरह का क्रिकेट खेला उससे पूरी दुनिया प्रभावित हुई थी। सभी इसी तरह का क्रिकेट खेलना चाहते थे। हालांकि हम सभी अपने खेलने के तरीके का सम्मान करते हैं लेकिन सभी को लगता था कि उन्होंने जो क्रिकेट खेला वह विशेष था। तेंदुलकर ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ी लगातार ऐसा ऐसा प्रदर्शन करने में सफल रहे। वह विश्व स्तरीय टीम थी।
सचिन तेंदुलकर ने कहा कि अगर उन्हें टेस्ट और एकदिवसीय की तुलना करनी पड़े तो उन्हें टेस्ट में अच्छा प्रदर्शन करने पर ज्यादा संतोष मिलता है। शायद यही वजह है कि सचिन तेंदुलकर ने टेस्ट क्रिकेट से सबसे आखिर में सन्यास लिया था। बताते चलें कि सचिन ने अपने करियर में केवल एक टी-20 इंटरनेशनल मैच खेला है।
सचिन ने बताया कि 1989 में जब उन्होंने खेलना शुरू किया तब विश्व क्रिकेट में कम से कम 25 बेहतरीन गेंदबाज खेल रहे थे। लेकिन दक्षिण अफ्रीका के पूर्व कप्तान हैंसी क्रोन्ये का सामना करना उन्हें पसंद नहीं था। सचिन ने बताया कि वह किसी न किसी कारण से आउट हो जाते थे। सचिन ने बताया कि वह पिच पर अपने साथ मौजूद दूसरे बल्लेबाज से कहा करते थे कि अगर एलेन डोनाल्ड या शान पोलाक बॉलिंग कर रहे हों तो वह उनका सामना कर लेंगे, लेकिन हेंसी की गेंद पर उन्हें स्ट्राइक रखने के लिए कहते थे।