मुंबई। महान बल्लेबाज सुनील गावस्कर ने कहा कि धोनी यदि वनडे क्रिकेट से संन्यास की घोषणा करते तो मैं धरने पर बैठ जाता। गावस्कर जैसे गंभीर खिलाड़ी की इस बात के पीछे जरूर कोई वजह होगी। क्या धोनी संन्यास के मूड में हैं? क्या गावस्कर को इसकी भनक लग चुकी है। क्या धोनी स्टेप बाय-बाय क्रिकेट से दूर होते जा रहे हैं। क्या अगला विश्व कप भारत धोनी के बिना खेलेगा?
महेंद्र सिंह धोनी हमेशा अपने फैसलों से चौकाते रहे हैं। पहले धोनी ने टेस्ट मैचों से संन्यास लिया फिर अब एक दिवसीय और टी-20 की कप्तानी छोड़ने की घोषणा कर सबको चौका दिया है। भारतीय क्रिकेट टीम के सफलतम कप्तानों में से एक है। धोनी के फैसले अचानक लिए गए दिखते हैं, पर उनको करीब से जाने वाले जानते हैं कि उनके हर फैसले के पीछे ठोस कारण और एक रणनीति होती है। कभी उनके फैसले गलत साबित नहीं हुए।
नजर डालते हैं धोनी के कुछ बड़े फैसलों पर -
बॉल आउट के लिए 'उथप्पा' का चुनाव
'बॉल आउट' में दोनों टीमों के 5 प्लेयर्स को खाली स्टंप को हिट करके पॉइंट्स बनाने होते हैं। आमतौर पर इस काम के लिए टीम के फास्ट बॉलर्स को मौका दिया जाता है। लेकिन 2007 के ही टी-20 वर्ल्ड कप में धोनी ने पार्ट टाइम बॉलर वीरेंद्र सहवाग, ऑफ स्पिन बॉलर हरभजन सिंह के बाद बल्लेबाज 'रॉबिन उथप्पा' को चुना। वैसे धोनी का यह फैसला सही साबित हुआ।
वर्ल्ड कप फाइनल में आखिरी ओवर जोगिन्दर को
2007 के टी-20 का फाइनल भारत और पाकिस्तान के बीच था। मैच के आखरी ओवर में पाकिस्तान को 13 रन की जरूरत थी और उसके हाथ में विकेट था। ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह के कुछ ओवर्स बचे हुए थे इसलिए सबको हरभजन के ओवर की उम्मीद थी। लेकिन धोनी ने नवेले
'जोगिन्दर शर्मा' को मौका दिया और फैसला भी सही साबित हुआ।
यॉर्कर को हेलीकॉप्टर से उड़ाया
यॉर्कर गेंद पर बल्लेबाज विकेट बचाने के लिए संघर्ष करते हैं। यॉर्कर गेंद पर विकेट बचा लेना बड़ी उपलब्धि मानी जाती है। लेकिन धोनी इस गेंद पर ही छक्के मारते हैं और आज इसे हम हेलीकॉप्टर शॉट के नाम से जानते हैं।
नागपुर टेस्ट में चौकाया ऑस्ट्रेलिया को
2008 में ऑस्ट्रेलिया के साथ खेला जा रहा नागपुर टेस्ट कहने को तो धोनी का कप्तान के रूप में तीसरा ही टेस्ट मैच था। इस मैच में उन्होंने जिस तरह अपनी स्ट्रेटेजी का जादू दिखाया उसने सभी को उनका मुरीद बना दिया। यह भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच टेस्ट सीरीज का चौथा और आखिरी मैच था।
भारतीय टीम पहले ही 1-0 बढ़त बना चुकी थी। भारतीय टीम द्वारा 441 रन बना लेने के बाद खेल के दूसरे दिन ऑस्ट्रेलिया ने 49 ओवर्स में 2 विकेट के नुकसान पर 189 रन बना लिए थे। सभी को साफ नजर आ रहा था कि ऑस्ट्रेलिया आगे निकल जाएगी। लेकिन धोनी ने कुछ स्ट्रेटेजी बनाई और टीम के बॉलर्स को ऑफ स्टंप बॉलिंग करने का सुझाव दिया। सभी को लगा धोनी मैच ड्रॉ करवाने के लिए ऐसा कर रहे हैं लेकिन अंततः हम यह मैच जीत गए।
2016 के टी-20 वर्ल्डकप में बांग्लादेश को एक रन से हराना
इस मैच में बांग्लादेश को आखरी बॉल पर 2 रनों की जरुरत थी। एक रन भी मैच टाई करा सकता था और भारत के लिए यह मैच जीतना बहुत जरुरी था। धोनी अपनी कैलकुलेशन की और बॉलर को शार्ट बॉल डालने की हिदायत दी। फिर क्या शार्ट बॉल डाली गई और जो धोनी ने सोचा वही हुआ।