नई दिल्ली। लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों को पूरी तरीके से लागू करने में हो रही देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई के प्रति सख्त रवैया अपना लिया है। बीसीसीआई के प्रमुख अनुराग ठाकुर की ओर से दायर हलफनामे को सुप्रीम कोर्ट ने धोखाधड़ी ठहराया है। इसके लिए ठाकुर को जेल भी हो सकती है।
चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर ने कहा कि बीसीसीआई प्रमुख अनुराग ठाकुर पर कोर्ट की अवमानना का केस चलाया जा सकता है। इसके लिए अनुराग ठाकुर जेल भी जा सकते हैं। यही नहीं, सुप्रीम कोर्ट अनुराग ठाकुर समेत उच्च अधिकारियों को हटा भी सकती है। उनकी जगह लोढ़ा कमिटी के सुझावों पर अमल करते हुए एक वर्किंग पैनल ला सकती है। फैसला 2 या 3 जनवरी को सुनाया जा सकता है।
एमिकस क्यूरी ने वरिष्ठ अधिकारियों को पद से हटाए जाने की वकालत की। सुप्रीम कोर्ट ने एमिकस क्यूरी से पूछा कि क्या अनुराग ठाकुर ने कोर्ट के सामने झूठे तथ्य रखे? इस पर एमिकस क्यूरी ने कोर्ट को बताया कि बीसीसीआई प्रमुख ने सुप्रीम कोर्ट में दिए हलफनामे में झूठ कहा था।
उन्होंने कहा था कि बीसीसीआई चेयरमैन के रूप में शशांक मनोहर से विचार लिया था। अनुराग ठाकुर ने सुधारों की प्रक्रिया में बाधा पहुंचाई।
दिल्ली पुलिस ने 2013 में आईपीएल टीम राजस्थान रॉयल के तीन खिलाड़ियों को मैच के दौरान स्पॉट फिक्सिंग में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया था। इसी मामले में चेन्नई सुपर किंग्स के सीईओ गुरुनाथ मयप्पन की भी गिरफ्तारी हुई।
मयप्पन तत्कालीन बीसीसीआई प्रेसिडेंट एन. श्रीनिवासन के दामाद हैं। इस मामले की जांच को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस मुकुल मुद्गल के नेतृत्व में मुद्गल कमेटी बनाई। 2014 में जस्टिस मुद्गल ने बीसीसीआई में सुधार की बात अपने रिपोर्ट में कही थी।
जस्टिस मुद्गल की रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई की कार्यपद्धति और संविधान में बदलाव के लिए जनवरी 2015 को जस्टिस आरएम लोढ़ा के नेतृत्व में तीन सदस्यों की कमेटी बनाई। जुलाई, 2015 में लोढ़ा पैनल ने अपना फैसला सुनाते हुए राजस्थान रॉयल और चेन्नई सुपर किंग्स को दो-दो साल के लिए आईपीएल से बैन कर दिया।