मेलबर्न। विराट सेना ने रविवार को पांचवें और अंतिम दिन सुबह का सत्र बारिश से धुल जाने के बावजूद ऑस्ट्रेलिया के बचे शेष दो विकेट जल्दी निकालते हुए तीसरा टेस्ट 137 रन से जीतकर चार मैचों की सीरीज में 2-1 की बढ़त बना ली और बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी पर अपना कब्जा बरकरार रखा। ऑस्ट्रेलिया ने 399 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए चौथे दिन की समाप्ति तक आठ विकेट पर 258 रन बनाकर भारत का इंतजार बढ़ाया था।
पांचवें दिन सुबह का सत्र बारिश के कारण धुल गया, जिससे आशंकाएं उठने लगी थीं, लेकिन जैसे ही खेल शुरू हुआ भारतीय तेज गेंदबाजों ने ऑस्ट्रेलिया की पारी को 261 रन पर समेट कर भारत की झोली में तिहरी ऐतिहासिक जीत डाल दी। भारत ने 4.3 ओवर में बचे हुए दोनों विकेट निकाल कर मेजबान टीम का संघर्ष समाप्त कर दिया। भारत ने इस तरह 37 साल के लंबे अंतराल के बाद मेलबर्न में टेस्ट जीता, उसने ऑस्ट्रेलिया में 40 साल बाद किसी टेस्ट सीरीज में दो टेस्ट जीते और ऑस्ट्रेलिया में 26 दिसंबर से शुरू होने वाला बॉक्सिंग डे टेस्ट पहली बार जीता। भारत की इसके साथ ही अपने टेस्ट इतिहास में यह 150वीं जीत है।
37 साल का सूखा खत्म
भारत का 37 साल बाद मेलबोर्न में जीत का सूखा खत्म हुआ। आखिरी बार फरवरी 1981 में सुनील गावस्कर की कप्तानी में भारत ने मेलबर्न में जीत हासिल की थी। तब भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 59 रनों से हराकर तीन टेस्ट मैचों की सीरीज 1-1 से बराबर कराई थी, लेकिन इस बार की जीत ने भारत को सीरीज में 2-1 की बढ़त दिला दी है। मेलबर्न में भारत (1948-2018) की 13 टेस्ट मैचों में यह तीसरी जीत है। यहां भारत ने 8 मैच गंवाए हैं जबकि दो ड्रॉ रहे हैं। भारत मेलबोर्न में आखिरी बार 2014 में खेला था, जो ड्रॉ रहा था।
ये रहे हीरो, जिन्होंने लिखी जीत की इबारत
जसप्रीत बुमराह
टीम इंडिया के फैक्टर कहे जाने वाले बुमराह ने इस मैच में कुल 9 विकेट झटके। पहली पारी में उन्होंने 33 रन देकर 6 विकेट लिए थे, जो उनके टेस्ट कॅरियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा। उनकी घातक बोलिंग की बदौलत ही ऑस्ट्रेलियाई टीम की पहली पारी सिर्फ 151 रनों पर सिमट गई। दूसरी पारी में उन्होंने 53 रन देकर 3 अहम बल्लेबाजों को आउट किया। वह ऑस्ट्रेलिया में उसी के खिलाफ एक मैच में 9 विकेट झटकने वाले पहले भारतीय, जबकि दूसरे विदेशी तेज गेंदबाज बने। उनसे पहले साउथ अफ्रीका के काइली एबॉट ने 2016 में होबार्ट में 9 विकेट लिए थे।
मयंक अग्रवाल
पर्थ में हार के बाद टीम इंडिया के सामने बड़ा सवाल यह था कि ओपनिंग किससे कराई जाए, क्योंकि लोकेश राहुल और मुरली विजय लगातार फ्लॉप रह रहे थे। यहां मयंक और हनुमा विहारी को ओपनिंग में उतारा गया। डेब्यू इनिंग में मयंक ने 161 गेंदों में 76 रन की पारी खेलते हुए भारतीय टीम को पहली इनिंग में शानदार शुरुआत दी। इसका फायदा भारतीय मिडल ऑर्डर ने उठाया और 7 विकेट पर 443 रनों के स्कोर पर पारी घोषित की। मयंक ने दूसरी पारी में भी 42 रन की अहम पारी खेली।
चेतेश्वर पुजारा
पुजारा ने पहली पारी के दौरान भारत को बड़े स्कोर तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने टेस्ट कॅरियर का 17वां शतक जड़ते हुए कई रिकॉर्ड भी बनाए। भारत के दूसरे राहुल द्रविड़ कहे जाने वाले पुजारा ने 319 गेंदों का सामना किया और 10 चौके लगाए। इस दौरान उन्होंने मयंक के साथ 83 रन जोड़े, जबकि कप्तान विराट के साथ मिलकर 170 रनों की साझेदारी की। पुजारा का यह सीरीज में दूसरा शतक रहा।
विराट कोहली
पर्थ टेस्ट में मिली हार के बाद आलोचकों के निशाने पर रहने वाले भारतीय कप्तान विराट कोहली ने यहां फिर साबित किया कि मौजूदा दौर में उनसे बेहतर बल्लेबाज कोई नहीं है। असमान उछाल वाली पिच पर उन्होंने आॅस्ट्रेलियाई गेंदबाजों को जमकर छकाया। विराट (204 गेंदों में 9 चौके की मदद से 82 रन) ने शतकवीर पुजारा के साथ मिलकर 170 रनों की साझेदारी करते हुए टीम को संवारा।
रोहित शर्मा
हिटमैन के नाम से मशहूर रोहित शर्मा ने पहली पारी में 114 गेंदों में 5 चौके की मदद से नाबाद 63 रन की पारी खेली। उनकी यह पारी उस वक्त आई, जब भारतीय टीम को जरूरत थी। उन्होंने अजिंक्य रहाणे के साथ मिलकर 5वें विकेट के लिए 62 रन जोड़े, जबकि पंत के साथ 76 रनों की साझेदारी की। यहां वह अपनी विस्फोटक छवि से विपरीत टीम की जरूरत के हिसाब से खेलते नजर आए।
ऋषभ पंत
दिग्गजों के बीच इस युवा विकेटकीपर बल्लेबाज ऋषभ पंत को नजरअंदाज करना आसान नहीं है। कुछ एक मौकों को छोड़ दिया जाए तो पंत ने विकेट के पीछे शानदार प्रदर्शन किया। उन्होंने 3 कैच लपके, जबकि बैटिंग के दौरान पहली पारी में 39 और दूसरी पारी में 33 रनों की अहम पारी खेली। दूसरी पारी में वह मयंक के बाद दूसरे बेस्ट स्कोरर रहे।