नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट टीम आॅस्ट्रेलिया में पहली बार टेस्ट सीरीज जीतकर इतिहास रचने के इरादे से उतरी थी लेकिन दुनिया की नंबर एक टेस्ट टीम के कप्तान विराट कोहली को इंग्लैंड की तरह मौजूदा आॅस्ट्रेलिया दौरे में भी अपनी कमजोर ओपनिंग जोड़ी का सिरदर्द झेलना पड़ रहा है।
भारत के 11 वर्ष बाद इंग्लैंड की धरती पर टेस्ट सीरीज जीतने में सबसे बड़ी बाधा उसकी ओपनिंग जोड़ी बनी थी और ऑस्ट्रेलिया में भी कहानी बदली दिख नहीं रही है। चार टेस्टों की सीरीज में पहला एडिलेड टेस्ट 31 रन से जीतने के बाद भारतीय टीम अपनी ऐतिहासिक जीत से काफी उत्साहित थी लेकिन पर्थ में वह लय खो बैठी और 146 रन के बड़े अंतर से मैच हार बैठी जिससे अब दोनों टीमें 1-1 की बराबरी पर हैं।
विराट ने हालांकि साफ तौर पर अपने खिलाड़ियों को लताड़ नहीं लगाई है लेकिन भारत की दूसरे टेस्ट में हार और ऑस्ट्रेलिया की जीत में एक बड़ा फर्क उसका बल्लेबाजी क्रम और खासकर ओपनिंग जोड़ियां रहीं। सीरीज की शुरूआत से ही भारतीय कप्तान इस बात को मान रहे हैं कि ऑस्ट्रेलिया पिचों पर जीतने के लिये बड़ी साझेदारियां करना जरूरी होगा, लेकिन उसी रणनीति में भारत अब तक विफल रहा है।
पर्थ टेस्ट को देखें तो जहां ऑस्ट्रेलिया की पहली पारी में मार्कस हैरिस और आरोन फिंच ने 70 और 50 रन की पारियां खेलकर पहले विकेट के लिये 112 रन की शतकीय साझेदारी। इससे टीम के मध्य और निचले क्रम को खुलकर रन बनाने का साहस मिला और टीम ने उछाल भरी तेज एवं घसियाली पिच पर 326 का बड़ा स्कोर बना डाला जिसकी खुद अपेक्षा विराट ने नहीं की थी।