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चालू वित्त वर्ष में विकास दर 7.7 प्रतिशत तक रहने का अनुमान : सीआईआई

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Apr 12 2018 8:45PM | Updated Date: Apr 12 2018 8:45PM
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नई दिल्ली। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने गुरुवार को कहा कि नोटबंदी और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के प्रभावों से भारतीय अर्थव्यवस्था अब उबर रही है और वैश्विक स्तर की चुनौतियों के बावजूद चालू वित्त वर्ष में आर्थिक विकास दर 7.3 से 7.7 प्रतिशत के बीच रह सकती है। संगठन के नवनिर्वाचित अध्यक्ष राकेश भारती मित्तल और नवनिर्वाचित मनोनीत अध्यक्ष उदय कोटक ने गुरुवार को अनुमान जताया। मित्तल ने कहा कि नोटबंदी और जीएसटी का असर अब समाप्त हो चुका है। इन दोनों सुधारों के अर्थव्यवस्था पर अब सकारात्मक प्रभाव दिखने लगे हैं। लगातार तीसरे साल मानसून लगभग समान्य रहने की उम्मीद है, जिससे ग्रामीण मांग भी बढ़ने की उम्मीद है। ट्रैक्टरों की बिक्री में आयी तेजी का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि यह ग्रामीण माँग बढ़ने का स्पष्ट संकेत है। चालू वित्त वर्ष में कृषि क्षेत्र की विकास दर चार फीसदी तक हो सकती है। 

उन्होंने कहा कि नोटबंदी और जीएसटी के बाद जिन जिन क्षेत्रों में सुस्ती आई थी उनमें विनिर्माण क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित हुआ था। अब इसमें भी सुधार होने लगा है। एफएमसीजी क्षेत्र के प्रदर्शन के सुधार के साथ ही सेवा क्षेत्र का प्रदर्शन भी बेहतर हुआ है। उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष में विनिर्माण उद्योग की वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत से 7.5 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान है, जबकि सेवा क्षेत्र की वृद्धि दर 8.4 से 8.7 प्रतिशत तक पहुंच सकती है। मित्तल ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था को गति देने वाले कई कारक हैं। वहीं कई चुनौतियां भी हैं। हाल में किए सुधारों से वृहद अर्थव्यवस्था में सुधार हो रहा है। सामन्य मानसून की उम्मीद से माँग बढ़ाने में मदद मिल सकती है। इसके साथ ही वित्तीय घाटा बढ़ने का निजी निवेश पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। निवेश की दर 30 फीसदी से कम रहने का अनुमान जताते हुये उन्होंने कहा कि कुछ क्षेत्रों का प्रदर्शन नकारात्मक रहने की आंशका है। इसके साथ ही तेल की कीमतों में बढ़ोतरी से घरेलू उपभोग प्रभावित हो सकता है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संरक्षणवाद की नीति से भी अर्थव्यवस्था प्रभावी हो सकती है। 
 
मित्तल ने अर्थव्यवस्था में तेजी लाने और भारत को पाँच लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए श्रम सुधार को आवश्यक बताते हुये कहा कि इसमें तेजी लायी जानी चाहिये क्योंकि इससे विभिन्न क्षेत्रों में निवेश बढ़ेगा और रोजगार के अवसर सृजित होंगे तथा निर्धारित अवधि के रोजगार उपलब्ध होंगे। उन्होंने तटीय क्षेत्र के तीव्र विकास के लिए मॉडल तटीय आर्थिक क्षेत्र बनाने की वकालत करते हुये कहा कि इससे संबंधित क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी।
 
उन्होंने भारतीय उद्योग को विकास का इंजन करार देते हुये कहा कि पांच लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को हासिल करने में उद्योग की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। उन्होंने बताया कि चालू वित्त वर्ष के लिए 'इंडिया राइज' (जिम्मेदार, समग्र, सतत और उद्यमशिलता) थीम रखा गया है। कोटक ने कहा कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में सेवा क्षेत्र की हिस्सेदारी 65 प्रतिशत है और अब यह विकास की मुख्यधारा है। जीएसटी और शोधन एवं दिवालियापन संहित (आईबीसी) को भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बहुत बड़ा सुधार बताते हुये उन्होंने कहा कि आईबीसी में कुछ बदलाव की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इसकी धारा 29 को उदार बनाये जाने की जरूरत है। इसके तहत कोई भी पुराना मालिक आईबीसी के तहत बोली नहीं लगा सकता है जबकि इससे छोटी कंपनियों को सबसे अधिक परेशानी होगी क्योंकि छोटी कंपनियों को उसके प्रवर्तक बेहतर समझते हैं और वहीं इसके लिए उचित बोली भी लगा सकते हैं।
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