नई दिल्ली। पंजाब नेशनल बैंक में हुए घोटाले के बाद वित्त मंत्रालय ने फर्जी कंपनियों पर सख्त रूख इख्तयार कर लिया है। सरकार नहीं चाहती कि अब किसी भी बैंक के साथ कोई धोखाधड़ी है। इसके लिए उसने गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) की सूची जारी कि है जिसमें 9,491 कंपनियों को हाई रिस्क की श्रेणी में रखा है। यह काम वित्त मंत्रालय की फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट (एफआईयू) ने किया है। आधिकारिक वेबसाइट पर जारी सूची में उन कंपनियों के नाम शामिल हैं जिन्हें ‘हाई रिस्क’ श्रेणी में रखा गया है। दरअसल, एफआईयू ने अपनी जांच में पाया है कि इन सभी एनबीएफसी ने 31 जनवरी तक मनी लॉन्ड्रिंग कानून के नियमों का पालन नहीं किया था। नोटबंदी के बाद कई नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों पर आयकर विभाग (आईटी) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की खास नजर थी, क्योंकि इन कंपनियों पर काला धन रखने वालों की मदद करते हुए उनके पुराने नोट बदलवाने का संदेह था।
इन कंपनियों और सहकारी बैंकों ने काले धन को पुरानी तारीख की फिक्स डिपोजिट (एफडी) दिखाकर चेक जारी कर दिए, जबकि रिजर्व बैंक ने इन्हें ऐसे डिपॉजिट्स लेने से साफ मना किया था। प्रिवेंशन आॅफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत सभी एनबीएफसीज के लिए फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन में एक प्रमुख अधिकारी नियुक्त करने और 10 लाख रुपए या इससे अधिक के सभी संदिग्ध लेन-देन की जानकारी एफआईयू को देना अनिवार्य है।