नई दिल्ली। बैंकों के कर्जदार विजय माल्या को लंदन में गिरफ्तार करने के कुछ ही मिनटों बाद जमानत मिल गई। माल्या को ED से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में अरेस्ट किया गया था। क्राउन प्रोसीक्यूशन कार्यालय माल्या के प्रत्यर्पण के मामले को लड़ रहा है ईडी अधिकारी ने कहा कि आरोप पत्र में इस बात का विवरण है कि कैसे माल्या ने आईडीबीआई बैंक से प्राप्त 900 करोड़ रुपए कर्ज की राशि को भारत के अपने समूह की कंपनियों और कई दूसरे देशों में फर्जी कंपनियों के माध्यम से इस्तेमाल किया। बैंकों के 9,000 करोड़ रुपये के कर्जदार माल्या बीते साल मार्च में भारत से ब्रिटेन भाग गए। भारत उनके प्रत्यर्पण की मांग कर रहा है, जिसकी प्रक्रिया चल रही है और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) तथा केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) प्रक्रिया की रूपरेखा प्रस्तुत कर रहे हैं।
भारत की अदालत ने घोषित किया है भगोड़ा
इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मुंबई के एक विशेष अदालत में, बंद कंपनी किंगफिशर एयरलाइंस द्वारा आईडीबीआई बैंक के 900 करोड़ रुपए के कर्ज को नहीं चुकाने के मामले में भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या और अन्य के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था। ईडी ने 57 पृष्ठों के आरोप पत्र में उन तरीकों का विस्तृत उल्लेख किया है, जिसके जरिए कर्ज को मंजूरी दी गई और उसके बाद नियमों को तोड़ते हुए उस धन को अलग-अलग जगह भेज दिया गया (धन शोधन)। साल 2016 के मार्च में ईडी ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्डरिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत आईडीबीआई कर्ज के मामले में किंगफिशर एयरलाइंस के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
ईडी के मुताबिक, साल 2009 के अक्टूबर में आईडीबीआई बैंक ने किंगफिशर एयरलाइंस को बिना किसी जमानत के 150 करोड़ रुपये का अल्पकालिक कर्ज दिया था, इसके बाद फिर से 750 करोड़ रुपए का कर्ज दिया गया, जिसमें 200 करोड़ रुपए का ब्रिज लोन भी शामिल था। इसमें मानदंडों और प्रक्रियाओं का उल्लंघन किया गया। इस आरोप पत्र से माल्या के खिलाफ ब्रिटेन में भारत सरकार के प्रत्यार्पण मामले को मजबूती मिलने की उम्मीद है। माल्या की कंपनी ने 17 बैंकों के समूह से कुल 9,000 करोड़ रुपए का कर्ज लिया था। इस कर्ज को नहीं चुकाने के मामले की जांच ईडी और केंद्रीय जांच ब्यूरो कर रहे हैं। मुंबई की विशेष अदालत ने माल्या को भगोड़ा करार दिया है। वह साल 2016 के मार्च में फरार हो गया था और तबसे ब्रिटेन में रह रहा है।