नई दिल्ली। एक साल से अधिक समय से जेल में बंद सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय को गुरुवार को भी कोई राहत नहीं मिल पाई, जब सुप्रीम कोर्ट ने उनकी जमानत पर फैसला सुरक्षित रख लिया।
कोर्ट ने सहारा को 2 सप्ताह का समय दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने रॉय से पूछा है कि वे निवेशकों को पैसा कैसे लौटाएंगे। कोर्ट ने पैसा वापस करने की योजना 4 सप्ताह में बताने को कहा है।
इससे पहले 23 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने सहारा समूह को सुब्रत रॉय और दो निदेशकों को जेल से रिहा कराने के लिए 10 हजार करोड़ रुपए जुटाने की अंतिम मोहलत दी थी।
माना जा रहा था कि अगर सहारा ग्रुप जमानत की शर्तें पूरी कर देता है, तो सुब्रत रॉय जेल से बाहर आ सकते हैं। निवेशकों का पैसा नहीं लौटाने के मामले में सुब्रत रॉय को जेल जाना पड़ा था।
इस राशि का उपयोग निवेशकों को आंशिक भुगतान करने के लिए किया जाएगा जिसे सहारा ग्रुप की कंपनियों ने 2008-09 में वैकल्पिक रूप से पूर्ण परिवर्तनीय डिबेंचर (ओएफसीडी) के जरिए निवेशकों से जुटाई थी।
सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय निवेशकों के 24 हजार करोड़ रूपए न चुकाने के मामले में 4 मार्च 2014 से दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद हैं।
इससे पहले की सुनवाई के दौरान निवेशकों को देय शेष राशि के भुगतान का मसला भी उठा क्योंकि धन लौटाने के सहारा समूह के दावे पर सेबी ने सवाल उठाए हैं।
सेबी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अरविन्द दातार ने कहा कि निवेशकों को धन लौटाने के बारे में सहारा समूह के परस्पर विरोधी दावे रहे हैं और शीर्ष अदालत ने भी इससे सहमति व्यक्त की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने सुब्रत राय की ज़मानत के लिए 10 हजार करोड़ रुपए सेबी के पास जमा कराने की शर्त रखी है। इसमें से आधी रकम नकद जमा करानी है और आधी रकम की बैंक गारंटी के तौर पर देनी है।