मुंबई। लोन के बोझ से दबी रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) को बैंकों से कर्ज की अदायगी करने के लिए सात महीने का समय मिल गया है। बैंकों ने रणनीतिक पुनर्गठन योजना को मंजूरी दे दी है। इसके तहत सात महीने तक कंपनी को ऋण की किस्त नहीं चुकाना होगी। कंपनी पर 45000 करोड़ रुपए का कर्ज है। कंपनी की क्रेडिट रेटिंग नीचे किए जाने के बाद आरकॉम के चेयरमैन अनिल अंबानी ने एक संवाददाता सम्मेलन में घोषणा की कि सितंबर तक कारोबार की बिक्री के दो सौदों से मिले धन की मदद से कंपनी अपने कर्ज के बोझ को घटाकर 20,000 करोड़ रुपए पर लाया जाएगा। बैंकों ने कंपनी को एक दिन पहले इसके लिए दिसंबर तक की समय सीमा दी है।
कर्ज को कम करने की बनाएंगे रणनीति
अंबानी ने कहा कि कर्ज को और कम करने के लिए कंपनी अपने वैश्विक कारोबार की रणनीतिक बिक्री पर विचार करेगी। उन्होंने कहा कि बैंकों ने रणनीतिक बदलाव कार्यक्रम के तहत कंपनी द्वारा की गई प्रगति को संज्ञान में लिया है। इसमें विशेष रूप से भारत केंद्रित नई स्वतंत्र वायरलेस कंपनी एयरकॉम की स्थापना, एयरसेल से किए गए करार और कनाडा की बु्रकफील्ड को टॉवर कारोबार करने वाली समूह की कंपनी रिलायंस इन्फ्राटेल की हिस्सेदारी बिक्री का सौदा शामिल है। अंबानी ने कहा कि दोनों ही सौदों से हमारा ऋण का बोझ 25000 करोड़ रुपए घट जाएगा। यह कुल ऋण का 60 प्रतिशत बैठता है। उन्होंने कहा कि घरेलू और विदेशी दोनों ऋणदाताओं ने कंपनी की योजना को स्वीकार किया है। शेष 20000 करोड़ रुपए के कर्ज के बारे में पूछे जाने पर अंबानी ने कहा कि कंपनी इसके लिए अपने वैश्विक कारोबार की रणनीतिक बिक्री पर विचार करेगी।
भाई से मेरे रिश्ते सौहार्द्रपूर्ण
अनिल अंबानी ने कहा कि उनके बड़े भाई मुकेश अंबानी के साथ रिश्ते सौहार्द्रपूर्ण हैं और इस बारे में जो भी प्रतिकूल बातें की जा रही हैं वह सब अनावश्यक है। रिलायंस जियो और रिलायंस कम्युनिकेशंस के बीच रिश्ते के बारे में अनिल अंबानी ने कहा कि दोनों अलग-अलग कंपनियां हैं और यह स्थिति बनी रहेगी। उन्होंने कहा, हमारे बीच स्पेक्ट्रम, फाइबर, अंतर सर्किल रोमिंग, टॉवर और अन्य क्षेत्रों में रणनीतिक सहयोग रहेगा जिससे आपसी तालमेल होगा और लागत में बचत भी होगी, यह रणनीतिक कार्ययोजना है जो आगे भी जारी रहेगी।