नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने मंगलवार को बताया कि देश के आईटी सेक्टर ने भरोसा दिलाया है कि तकनीक के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर छटनी नहीं की जाएगी। आपको बता दें कि देश का तकनीकी क्षेत्र 8 से 9 फीसद की ग्रोथ रेट के साथ लगातार आगे बढ़ रहा है।
आईटी सचिव अरुणा सुंदराराजन ने कहा कि यहां कुछ ऐसे मामले हो सकते हैं जिनमें अनुबंधों को एनुअल अप्रेजल साइकिल के रूप में नवीनीकृत नहीं किया जा सकता है। इसके अलावा, उन्होंने बताया कि इडस्ट्री भी क्लाउड, बिग डेटा और डिजिटल पेमेंट के आगमन के कारण जॉब प्रोफाइल बदलाव के दौर से गुजर रही है। उन्होंने कहा, “इनमें से कुछ कंपनियों को जिन्हें नामित किया गया है ने स्पष्ट किया है इस साल कुछ भी बड़ा नहीं होने जा रहा है।” उन्होंने यह बात ब्रॉडबैंड इंडिया फोरम के एक इवेंट के इतर कही।
डिजिटलीकरण और ऑटोमेशन अब एक नई सामान्य सी बात हो गई है। भारतीय आईटी सेक्टर की दिग्गज कंपनियां इन्फोसिस, कॉग्निजेंट और टेक महिंद्रा में बड़े स्तर पर लोगों को नौकरी से निकाला जा रहा है। एक्सपर्ट्स की मानें तो दिग्गज कंपनियों का ऐसा रुख अगले एक और दो और साल तक दिख सकता है।
परफार्मेंस अप्रेजल प्रोसेस के रूप में हजारों कर्मचारियों को पिंक स्लिप थमाई जा रही है। अगर आसान शब्दों में समझें तो उन्हें नौकरी से निकाला जा रहा है। लेकिन दुनिया के लक्षित बाजारों में बढ़ती संरक्षवाद की प्रवृत्ति के मद्देनजर यह लागत नियंत्रण के प्रयास का हिस्सा है, क्योंकि इससे कंपनियों के मुनाफे पर सीधा असर पड़ रहा है। अमेरिका, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे देशों में कड़ी कार्य परमिट व्यवस्था की वजह से भारतीय साफ्टवेयर निर्यातक विशेष रूप से प्रभावित हुए हैं।