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66 हजार करोड़ का गोदरेज की कमान संभालेंगी निसाबा

By Dabangdunia News Service | Publish Date: May 10 2017 12:56PM | Updated Date: May 10 2017 12:56PM
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नई दिल्ली। देश के बड़े उद्योग समूह में से एक गोदरेज समूह में बड़ा परिवर्तन हुआ। उद्योगपति आदि गोदरेज ने समूह की फ्लैगशिप कंपनी गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स (जीसीपीएल) की कमान बेटी निसाबा को सौंप दी है। इस तरह 39 साल की निसाबा अब 66 हजार करोड़ का ग्रुप संभालेंगी। वे बड़े आकार की भारतीय फर्म का नेतृत्व करने वाली सबसे युवा महिलाओं में शुमार हो गई हैं। कंपनी की एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर निसाबा 10 मई 2017 से एक्जीक्यूटिव चेयरपर्सन बन जाएंगी। गोदरेज देश के पुराने उद्योग घरानों में से एक है। समूह की स्थापना अर्देशिर गोदरेज और फीरोजशा गोदरेज ने 1897 में की थी। 

17 साल तक आदि ने संभाली जिम्मेदारी
75 वर्षीय आदि गोदरेज कंपनी के मानद चेयरमैन बने रहेंगे। उन्होंने 17 वर्ष कंपनी की जिम्मेदारी संभाली है। विवेक गंभीर कंपनी के एमडी और सीईओ बने रहेंगे। उद्योगपति आदि का कहना है जीसीपीएल की नींव बेहद मजबूत है। यह नए चेयरपर्सन के लिए बागडोर हाथ में लेने का सही समय है। उन पर कंपनी को प्रगति के अगले चरण में पहुंचाने का जिम्मा होगा।

आदि की मंझली बेटी हैं निसाबा
आदि गोदरेज के तीन बच्चे हैं। इनमें निसाबा मंझली हैं। बड़ी बेटी तान्या दुबाश गोदरेज ग्रुप की एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर व चीफ ब्रांड आॅफिसर हैं। जबकि बेटा पिरोजशा, गोदरेज प्रॉपर्टीज का एक्जीक्यूटिव चेयरमैन है। निसाबा ने पेंसिलवेनिया यूनिवर्सिटी में द वॉर्टन स्कूल से ग्रेजुएट किया है। इसके बाद हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एमबीए पूरा किया है। निसाबा के पति कल्पेश मेहता का कारोबार रियल एस्टेट क्षेत्र में है। उनकाएक बेटा है।
 
कंपनी का मुनाफा तीन गुना बढ़ा
पदोन्नत निसाबा ने कहा कि समूह उनके पिता के दिखाए गए अनुशासन, परिणाम उन्मुख व विनम्र दृष्टिकोण के मार्ग पर हमेशा चलता रहेगा। मंगलवार को ही जीसीपीएल के तिमाही परिणामों की भी घोषणा हुई। मार्च में समाप्त चौथी तिमाही के दौरान एफएमसीजी कंपनी का मुनाफा तीन गुना बढ़कर 389.91 करोड़ रुपए पर पहुंच गया। ज्यादातर श्रेणियों में बिक्री बढ़ने का कंपनी को फायदा मिला। वित्त वर्ष 2015-16 की इसी अवधि में कंपनी को 124.84 करोड़ रुपए का लाभ हुआ था।
 
कारोबार बढ़ाने में रही प्रमुख भूमिका
बीते एक दशक में निसाबा ने जीसीपीएल की रणनीति और बदलावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 2011 से वह जीसीपीएल के बोर्ड आॅफ डायरेक्टर्स में हैं। कंपनी के प्रोजेक्ट लीपफ्रॉग के पीछे उन्हीं का दिमाग था। वर्ष 2007 में शुरू हुए इस प्रोजेक्ट के तहत जीसीपीएल ने इनोवेशन और कंसोलिडेशन के जरिए घरेलू कारोबार को रफ्तार दी। साथ ही वह भारत के बाहर उभरते बाजारों में निवेश करके ग्लोबल स्तर पर पहुंची। इस अवधि के दौरान जीसीपीएल का बाजार पूंजीकरण 20 गुना बढ़कर तीन हजार करोड़ से बढ़कर 60 हजार करोड़ रुपए हो गया। वर्तमान में कंपनी के राजस्व का लगभग आधा विदेशी बाजारों से आता है। जीसीपीएल की मौजूदगी कंज्यूमर गुड्स, रियल एस्टेट, अप्लायंसेज और कृषि क्षेत्र में है।

 

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