मुंबई। भारती इन्फ्राटेल ने संकट से जूझ रही अनिल अंबानी की कंपनी आरकॉम की टावर परिसंपत्तियों में दिचलस्पी दिखाई है। ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवालिया संहिता (आईबीसी) की प्रक्रिया शुरू होने के बाद आरकॉम पर बोली लग सकती है। भारती इन्फ्राटेल भी इंडस टावर्स और कनाडा की निजी इक्विटी फंड कंपनी ब्रुकफील्ड एसेट मैनेजमेंट के साथ रिवर्स विलय की प्रक्रिया से गुजर रही है। भारती इन्फ्राटेल के एक प्रवक्ता ने कहा कि विलय के बाद कंपनी के पास 1.65 लाख टावर होंगे और वह देश की सबसे बड़ी कंपनी होगी। प्रवक्ता ने कहा हम अपने विकल्पों पर विचार कर रहे हैं और अनुकूल मौके की तलाश में हैं। सूत्रों के मुताबिक टावरों के दीर्घकालीन अनुबंध के लिए ब्रुकफील्ड और रिलायंस जियो के बीच बातचीत हो रही है। जियो ने अपने टावर और फाइबर कारोबार को अलग करके बेचने की घोषणा की है। इस कारोबार में हिस्सा लेने के लिए उसकी ब्रुकफील्ड से बात भी हुई है।
सूत्रों का कहना है कि ब्रुकफील्ड के लिए जियो के साथ मिलकर टावरों के लिए बोली लगाना ज्यादा अच्छा है। इससे पहले कंपनी ने 20000 करोड़ रुपए के मूल्यांकन के साथ आरकॉम के टावरों को खरीदने की पेशकश की थी लेकिन कई उतारचढ़ाव के बाद यह मामला आगे नहीं बढ़ पाया। आरकॉम के देश में 43000 से अधिक टावर और 1.7 लाख किलोमीटर फाइबर नेटवर्क है। इस बारे में ब्रुकफील्ड ने उसे भेजे गए ईमेल का कोई जवाब नहीं दिया। जियो ने भी ईमेल का कोई जवाब नहीं दिया।
आरकॉम ने सोमवार को जियो के साथ 25000 करोड़ रुपए का सौदा रद्द करने की घोषणा की थी। बैंकों की तरफ से मंजूरी नहीं मिल पाई। आरकॉम पहले ही राष्टÑीय कंपनी कानून पंचाट के जरिए ऋण समाधान की मंशा जाहिर कर चुकी है। 8 अप्रैल को राष्टÑीय कंपनी कानून अपील पंचाट उसकी याचिका पर सुनवाई करेगा। अमेरिकन टावर जैसी कंपनियों ने साफ कर दिया है कि वे इस मामले में तभी आगे बढ़ेंगी जब उन्हें टावर परिसंपत्तियों पर परिचालन नियंत्रण और किराए पर देने की आजादी मिलेगी।