सुकमा। दोरनापाल-जगरगुंडा मार्ग पर सीआरपीएफ 150वीं बटालियन के जवानों की सूझबूझ से नक्सलियों की इस नई रणनीति को विफल कर दिया है। इस मार्ग पर नक्सलियों ने चिंतागुफा इलाके के जंगल में 50 मीटर के अंतराल में तीन पुतले बना रखे थे और इनके हाथ में लकड़ी की बनी डमी एसएलआर राइफल भी पकड़ा दी थी।
जंगल में दूर से इसे देखने पर ऐसा दिख रहा था कि कोई आदमी बंदूक लेकर सामने वाले को निशाना बना रहा है। इन्हीं पुतलों के नीचे नक्सलियों ने बम लगा रखे थे। जवानों ने जब इन पुतलों को देखा तो पहले उन्हें नक्सलियों के बंदूक लेकर खड़े होने का भ्रम हुआ। इसके बाद जवानों को थोड़ी ही देर में माजरा समझ आ गया और मौके पर बीडीएस टीम को बुलाया गया। टीम ने एक पुतले के नीचे से 7 किलो वजनी बम बरामद कर उसे निष्क्रिय कर दिया है।
नक्सलियों ने पुतलों के नीचे बम लगाया था, लेकिन जवानों ने इसे पहले ही निष्क्रिय कर दिया। इस छद्म युद्ध की नई रणनीति काफी खतरनाक साबित हो सकती है। नक्सलियों के खिलाफ लंबे समय से आॅपरेशन चलाने वाले अफसरों की मानें तो जंगल के अंदर ऐसे ही पुतले और डमी बंदूक लगाकर नक्सली जवानों का ध्यान भटकाकर उन्हें बड़े एंबुश में भी फंसा सकते हैं।
अधिकारियों का कहना है कि जंगल में जब जवान खतरा भांप जाता है, तो चौकन्ना होने के साथ-साथ वो कई बार दुश्मन की दूसरी रणनीति के बार में नहीं सोच पाता है। उसका पूरा ध्यान सामने खड़े खतरे पर ही होता है, जो कई बार घातक साबित होता है।