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अंत्येष्टि के लिए नहीं थे पैसे, मां को दान करना पड़ा बेटे का शव

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Feb 17 2018 6:44PM | Updated Date: Feb 17 2018 6:44PM
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जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में बेबसी के बोझ से दबी एक मां ने अपने लाड़ले का शव मेडिकल कॉलेज जगदलपुर (मेकॉज) प्रबंधन को सौंप दिया। इसके पीछे बुजुर्ग मां की सहमति तो थी, लेकिन उसके पीछे बड़ी मजबूरी छिपी थी। कथित तौर पर इस परिवार के पास बेटे का शव घर ले जाने और अंतिम संस्कार के लिए रुपए ही नहीं थे। बड़े आरापुर निवासी 21 वर्षीय बामन अपने बड़े भाई और भाभी के साथ गांव में रहता था। वह एक निजी ट्रैवल कंपनी में कंडक्टर था। सोमवार को अज्ञात वाहन ने बड़े आरापुर के पास ही उसे टक्कर मार दी। डिमरापाल स्थित महारानी हास्पिटल में गुरुवार को उसने दम तोड़ दिया।

वहां उसके भाई-भाभी और मां भी पहुंच गए। पोस्टमार्टम कक्ष के बाहर परिजन उसे गांव तक ले जाने और अंतिम संस्कार के लिए पैसे नहीं होने की चर्चा कर रहे थे। इसी बीच यहां किसी परिचित के पोस्टमार्टम के लिए आए हॉर्टीकल्चर कॉलेज के डॉ. पी के तिवारी की मुलाकात इनसे हुई। डॉ. तिवारी ने परिजनों को शव मेकॉज को दान देने की सलाह दी। आर्थिक तंगी से जूझ रहे परिजनों ने इसके बारे में सहमति बनाई, फिर एनाटॉमी विभाग के डॉ. अशरफ ने औपचारिकता पूरी कर शव अपने कब्जे में ले लिया। बामन के शव दान करने के दस्तावेज पर मृतक की मां सुधरी बाई ने अंगूठा लगाया है।

उन्होंने बताया कि वो गीदम में रहती हैं। उसका बेटा अपने भाई-भाभी के साथ बड़े आरापुर में रहता था। जब उनसे पूछा गया कि सरकार अंतिम संस्कार के लिए कई योजनाएं चलाती है इसका लाभ क्यों नहीं ले रही हैं, तो उन्होंने कहा कि इस बारे में उन्हें जानकारी नहीं, किसी ने बताया भी नहीं था। बामन की भाभी प्रेमवती ने बताया कि चार दिनों से उनका देवर भर्ती था। वे इलाज के लिए भी परेशान रहे। परिवार मजदूरी कर गुजर-बसर करता है। ऐसे में उसका अंतिम संस्कार कैसे करते। जब उन्हें बताया गया कि पंचायत अंतिम संस्कार के लिए पैसे देती है, तो प्रेमवती ने कहा कि उन्हें किसी ने ऐसी कोई जानकारी नहीं दी।

मेडिकल कॉलेज के डीन यू एस पैंकरा ने बताया कि एनाटॉमी डिपार्टमेंट ने उन्हें सिर्फ दान में शव मिलने की बात कही थी। परिजन शव क्यों दान में दे रहे हैं, इसकी जानकारी उनके पास नहीं है। जब उनसे पूछा कि क्या परिजनों को बताया गया था कि शव को मुफ्त में घर तक पहुंचाने और अंतिम संस्कार के लिए सरकार की ओर से आर्थिक सहायता दी जाती है, तो उन्होंने कहा कि युवक की मौत महारानी हॉस्पिटल में हुई है और वह डिमरापाल स्थित कॉलेज में है।

ऐसी जानकारी युवक के परिजनों को दी गई थी या नहीं, इसकी जानकारी उनके पास नहीं है। गौरतलब है कि राज्य सरकार लोगों की सुविधा के लिए हॉस्पिटल में मौत के बाद शव घर तक भिजवाने के लिए मुक्तांजलि योजना और अंतिम संस्कार के लिए पुष्पाजंलि योजना चलाती है। अंत्येष्टि के लिए जरूरतमंद परिवार को तत्काल दो हजार रुपए दिए जाते हैं। 

 
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