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नक्सल पीड़ित दंतेवाड़ा को जैविक खेती से मिली राष्ट्रीय पहचान

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Oct 9 2015 12:12AM | Updated Date: Oct 9 2015 12:14AM
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रायपुर। नक्सल हिंसा और आतंक की गंभीर चुनौतियों के बीच छत्तीसगढ़ के दक्षिण बस्तर (दंतेवाड़ा) जिले के किसानों ने जैविक खेती के जरिए शुद्ध अनाज और साग-सब्जियों के उत्पादन का एक नया कीर्तिमान बनाया है। जिले में इसके माध्यम से हरित क्रांति का तेजी से विस्तार हो रहा है। खेतों में हरियाली के साथ किसानो के जीवन में समृद्धि की नई फसल लहलहाने लगी है। अभी दो दिन पहले जिला मुख्यालय दंतेवाड़ा में किसानों का एक सम्मेलन भी आयोजित किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में जैविक कृषि से जुड़े किसान शामिल हुए। राज्य सरकार से लगातार मिल रहे प्रोत्साहन के फलस्वरूप इस जिले में विगत दो वर्ष में जैविक खेती करने वाले किसानों की संख्या तीन सौ से बड़कर एक हजार तक पहुंच गई है, वहीं जिले में जैविक खेती का रकबा 240 हेक्टेयर से बढ़कर सात सौ हेक्टेयर तक पहुंच गया है। हीरानार, सुरनार, बालूद, हल्बारास, भूसारास और बड़ेगुड़रा, जैसे कई गांवों में जिला प्रशासन द्वारा किसानों को जैविक कृषि के लिए प्रोत्साहित करने के उददेश्य से मोचो बाड़ी (मेरी बाड़ी) परियोजना शुरू की गई है।

इस तरह बनाई नई पहचान
इस जिले के लगभग साढ़े चार सौ किसानों को गोवा की एक समाज सेवी संस्था पी.जी.एस. आर्गेनिक काउंसिल ने प्रमाण-पत्र भी प्रदान किया है। यह प्रमाण-पत्र हासिल करने वाला दंतेवाड़ा छत्तीगसढ़ का पहला जिला है। इससे आदिवासी बहुल इस जिले की जैविक खेती को राष्ट्रीय स्तर पर भी एक नयी पहचान मिली है। यह संस्था देश भर में जैविक खेती को बढ़ावा देने वाली संस्थाओं के समन्वय के रूप में काम कर रही है। जिले में दो वर्ष पहले तक धान का प्रति हेक्टेयर औसत उत्पादन पन्द्रह क्विंटल से बीस क्विंटल तक होता था, लेकिन जैविक खेती का तरीका अपनाने पर कई गांवों में यह उत्पादन बढ़कर प्रति हेक्टेयर 43 क्विंटल तक पहुंच गया है। जिला प्रशासन ने राज्य सरकार के सहयोग से दंतेवाड़ा जिले की जैविक खेती से प्राप्त चावल ग्राहकों को इस वर्ष दिसम्बर माह से राजधानी रायपुर के एक शॉपिंग मॉल में उपलब्ध कराने की तैयारी शुरू कर दी है।

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