नई दिल्ली। साड़ी भारतीय महिलाओं की मनपसंद पोशाक मानी जाती है। साड़ी के साथ ब्लाउज़ उन्हें अलग ही लुक प्रदान करता है। अब तो कंपनियां खुद ही साड़ी के साथ ब्लाउज अटैच दे रही हैं। लेकिन यह जानकर हमारे देश में ही एक जगह ऐसी भी है जहां महिलाएं साड़ी के साथ ब्लाउज़ नहीं पहनती हैं। आइए आपको बताते हैं आखिर इसके पीछे क्या है वजह।
यह परंपरा छत्तीसगढ़ की आदिवासी महिलाओं के बीच पाई जाती है। यहां महिलाएं बिना ब्लाउज़ के ही साड़ी पहनती हैं। यहां की परंपरा के मुताबिक महिलाओं को ब्लाउज पहनने की अनुमति नहीं है। इस परंपरा के अंतर्गत महिलाएं ना तो खुद ब्लाउज पहनती हैं और ना ही गांव की किसी और महिलाओं को इसे पहनने देती हैं। इन इलाकों में रहने वाले लोग शुरू से अपनी परंपरा को निभाते चले आ रहे हैं।
यहां रहने वाली कुछ लड़कियों ने ब्लाउज पहनना शुरू कर दिया है, जिस वजह से गांव वालों ने उन पर परंपरा की अवहेलना का आरोप भी लगाया था। आज भी इस परंपरा को बचाने में पुराने लोग लगे हुए है। बिना ब्लाउज साड़ी पहनने को गातीमार स्टाइल कहा जाता ह। लगभग एक हजार साल से इस परंपरा को लोग निभाते चले आ रहे हैं। आदिवासी महिलाओं का मानना है कि बिना ब्लाउज़ के साड़ी पहनने पर काम करने में सुविधा होती है। ऐसे खेत में काम करना और बोझ उठाना काफी आसान हो जाता है, जबकि जंगली इलाकों में महिलाएं गर्मी की वजह से ब्लाउज पहनना पसंद नहीं करतीं।