जगदलपुर। छत्तीसगढ़ जिले में इंद्रावाती बचाओ जनजगरण अभियान से जुड़े सदस्य नगर के ऐतिहासिक दलपत सागर की सफाई प्रतिदिन करने में जुटे है। अभियान के सदस्य सुबह ही सागर किनारे पहुँच कर सफाई अभियान में जुट जाते है और 8 बजे तक सफाई करते है। महिला, पुरुष, वृद्ध, युवा सहित हर क्षेत्र के लोग इस महाअभियान में अपनी सहभागिता निभा रहे है। यहां संभागीय मुख्यालय में स्थित दलपत सागर पिछले कई सालों से उपेक्षित है और इसे सहजने के उदेश्य को लेकर इंद्रावती बचाओ जनजागरण अभियान के सदस्य सामने आये है।
अभियान के सदस्य खरपतवारों और फेंकें गये कचरों को सागर से निकाल बहार जमा कर रहे है। उल्लेखनीय है कि दलपत सागर लगभग 400 वर्ष से भी अधिक पुराना है। जो साफ सफाई के अभाव में बदतर हो चुका है। वर्षों से तालाब में सफाई नहीं हुई। हर साल तालाब में मूर्ति विजर्सन, नगर के नाली का गंदा पानी, आने के चलते यह तालाब अब पूरी तहर से दूषित और इसका पानी अप्रयोगी हो चूका है। बीते 5 साल से इसका उपयोग भी दैनिक जीवन में बंद हो गया है मगर अब कुछ जागरूक लोगों ने इसे बचाने बड़े अभियान की शुरुवात की है। लगभग 400 साल पहले बस्तर रियासत के महाराजा दलपतदेव ने इस तलाब का निर्माण सिंचाई और निस्तारी के लिये किया था।
प्रदेश में यह सबसे बड़े तालाबों में गिना जाता है। बताया जाता है कि रियासतकालीन दौर में 50 से अधिक तालाब जल संग्रहण के लिये बनाये गये.उस दौर में जल संचय के लिये बेहतर कार्य किये जाते थे परंतु वक्त के साथ साथ तालाबों की स्थिति दयनीय होती चली गई और आज यह स्थिति है कि आधे से ज्यादा तालाब और कुएँ विलुप्त हो चुकी है या उनमे कब्जा कर क्रंकीट का जंगल बना दिया गया है।