जगदलपुर। पक्षी विज्ञानियों का प्रिय परिंदा और बेहद शर्मीला पक्षी सोनालुका इन दिनों छत्तीसगढ़ के जगदलपुर के दलपत सागर तालाब में शाम ढलते ही अठखेलियां करता नजर आ रहा है। यह रात में विचरण करते हैं। मादा अण्डे देती हैं, नर इसे सेता है और चूजों को मादा की तरह अपने पंख के अंदर भी समेटते हैं। लंबे समय बाद इस जलीय पक्षी का जोड़ा देखा गया है, इसलिए पक्षी विज्ञानी और प्रकृति प्रेमी खुश है, लेकिन इनकी सुरक्षा के प्रति वन विभाग उदासीन है।
इस पक्षी का अंग्रेजी नाम ग्रेटर पेंटेड स्राइप व वैज्ञानिक नाम है रोस्ट्रेटूला बेंगालेंसिस है। स्थानीय इसे सोनालुका कहते हैं। यह निशाचर है और यदा-कदा ही दिन में दिखाई पड़ता है। तालाब किनारे दलदल में जलीय पौधों के बीच में छुपा रहता है। पीजी कॉलेज में प्राणी विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. सुशील दत्ता बताते हैं कि सोनालुका का प्रजनन काल अप्रैल से जुलाई तक होता है, इसलिए वे इन दिनों नजर आ रहे हैं।
यह पक्षी नरम जमीन पर घास-तिनके से घोंसला बनाते हैं, जो प्रायरू पानी के करीब होते हैं। मादा एकाधिक नर से समागम करती है। इस प्रजाति में पैरेंटल इन्वेस्टमेंट का उदाहरण देखने को मिलता है। शाम को यह पक्षी अपने घोंसले के चारों ओर आवाज करते हुए चक्कर लगाते रहते हैं।
करीब 385 एकड़ में फैले बस्तर संभाग के सबसे बड़े दलपत सागर तालाब में फीसेंट टेल्ड जकाना, ब्रॉंग बिग्ड जकाना, पर्पल स्वाम्प हेन, रूडी ब्रेस्टेड क्रेक, बेलन्स क्रेक, यलो बिटर्न, ब्लेक बिटर्न, सिनेमन बिटर्न, यूरेसियन कूट, लेसर विसलिंग डक, कारमोरेंट सहित 50 से अधिक जलीय और जल पर आश्रित रहने वाले पक्षी रहते हैं। इस तालाब को एक तरह से जलीय पक्षियों का अभयारण्य भी कहा जा सकता है।