रायपुर। छत्तीसगढ़ में पन्द्रह वर्षों तक लगातार सत्ता में रहने वाली बीजेपी के सत्ता से हटने के एक माह में ही घमासान शुरू हो गया है। पार्टी के नेताओं ने मुखर होकर हार के लिए पूर्व मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह एवं प्रदेश भाजपा अध्यक्ष धरम कौशिक के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
डॉ. सिंह के 2003 में मुख्यमंत्री बनने के बाद छत्तीसगढ़ में भाजपा के भीतर खुलकर कभी पार्टी के भीतर किसी ने आवाज नही उठाई।
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति जनजाति आयोग के अध्यक्ष नन्दकुमार साय एवं पूर्व अध्यक्ष स्वं रामप्रताप सिंह ने खुलकर बोलने का प्रयास किया तो उन्हे किनारे कर दिया गया। पार्टी के भीतर डॉ. सिंह के विरोधियो की कमी नही थी लेकिन पार्टी मंच के बाहर कोई बोलने का साहस नही जुटा पाता था।इसके चलते पार्टी में बाहर से सब कुछ ठीक होना नजर आता था।
राज्य में तीन बार पार्टी को जीत दिलवाने वाले डॉ. सिंह पार्टी को चौथी बार सत्ता दिलवाने में असफल रहे और पार्टी को बहुत ही करारी हार का सामना करना पड़ा। इस हार के बाद डॉ. सिंह को भाजपा विधायक दल का नेता बनने से रोकने की कोशिश हुई,लेकिन उन्होने अपने विश्वासपात्र प्रदेश भाजपा अध्यक्ष धरम कौशिक को विधायक दल का नेता बनवाकर विरोधियों को झटका दिया। भाजपा के निर्वाचित 15 विधायकों में पांच भी कौशिक के पक्ष में नही थे पर पार्टी आलाकमान के निर्णय को मानना पड़ा।
पार्टी नेताओं की दो दिन पहले लोकसभा चुनावों की तैयारियों के लिए यहां हुई बैठक में जहां जमकर आरोप प्रत्यारोप लगे,वहीं पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री चन्द्रशेखर साहू ने हार के लिए रमन सरकार के गलत निर्णयों को जिम्मेदार बताते हुए कल मीडिया में बयान देकर खलबली मचा दी है। उन्होने कहा है कि किसानों के साथ वादाखिलाफी पर पार्टी किसानों से क्षमा मांगे अन्यथा वह ही किसानों से क्षमा मांगेगे।