नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने NEET-2017 की परीक्षा 'रद्द' करने से इंकार करते हुए कहा कि ऐसा करने से मेडिकल और डेन्टल पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले 6 लाख से अधिक अभ्यर्थी प्रभावित होंगे।
जस्टिसदीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस एम एम शांतानागौदर की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने कहा कि NEET के नतीजों को बाधित करना 'बहुत ही मुश्किल ' होगा क्योंकि 11.35 लाख अभ्यर्थियों में से 6.11 लाख अभ्यर्थियों ने यह परीक्षा उत्तीर्ण की है और उनकी काउन्सिलिंग की प्रक्रिया जारी है।
पीठ ने कहा, हम इस तरह का कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं कर सकते हैं। वैसे भी परीक्षा के नतीजों को बाधित करना बहुत ही मुश्किल है।
पीठ ने याचिकाकर्ताओं के वकील की इस दलील को अस्वीकार कर दिया कि आंध्र प्रदेश में परीक्षा में अभ्यर्थियों को प्रश्न पत्रों के तीन सेट दिए गए थे।
पीठ ने कहा कि वह पहले सीबीएसई के हलफनामे पर गौर करेगी। कोर्ट ने माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) को तीन दिन के भीतर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।
शीर्ष कोर्ट ने 12 जून को मद्रास हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी थी जिसने CBSE को इस परीक्षा के नतीजों की घोषणा करने से रोक दिया था। CBSE ने इस परीक्षा के नतीजों की घोषणा 23 जून को की थी।
हालांकि पीठ ने कहा, आदेश है ही। हम इसे हटाने नहीं जा रहे हैं। हम आज कोई भी आदेश पारित नहीं करेंगे। पीठ अब इस मामले में 31 जुलाई को आगे सुनवाई करेगी।