पिछले करीब एक दशक से वास्तु शास्त्रियों की मांग बढ़ने लगी है। बड़े कॉपोर्रेट्स हाउस, मल्टीप्लेक्स, मॉल, बड़े भवन आदि के निमार्णों में वास्तु शास्त्रियों की मदद ली जा रही है। इससे इस क्षेत्र में भी युवाओं की कॅरियर संभावनाएं बढ़ी हैं। वर्तमान में देश में वास्तु का पूर्ण ज्ञान रखने वाले वास्तु शास्त्रियों की कमी है। जो वास्तुशास्त्री हैं, उनके मार्गदर्शन से समृद्धि तो बढ़ रही है पर संस्कार विलुप्त हो रहे हैं। इसलिए आवश्यक है कि आज के युवा वास्तु का समग्र अध्ययन कर इस क्षेत्र में करियर बनाकर एक अच्छा वास्तु शास्त्री बनें।
वास्तु शास्त्र भारतीय प्राचीन विद्या है। वेदों में वास्तु को स्थापत्य कला कहा गया है। इसमें किसी भी भवन निर्माण संबंधी नियमों का वर्णन मिलता है। वास्तु शास्त्र के द्वारा ऐसे भवन का निर्माण किया जाता जिससे उसमें निवास करने वाले व्यक्ति को प्रकृति की पोषणकारी शक्ति प्राप्त हो ताकि वह निरोगी रहते हुए बिना बाधा के सफलता प्राप्त कर सके। इसके अनुसार भवनों, मकानों का निर्माण किया जाता है।
वास्तु शास्त्र वर्तमान में एक अच्छे करियर विकल्प के रूप में उभर रहा है। आधुनिक युग के साथ इसने इंटीरियर डिजाइन का रूप ले लिया है। इसमें युवाओं के लिए काफी संभावनाएं बढ़ रही हैं। अक्सर लोगो से बाते करते सुना जा सकता है कि मकान तो वास्तु के हिसाब से ही बनना चाहिए या किसी की किचन सही जगह नही है तो किसी का बेडरूम। अब सहज प्रश्न यह है की आखिर वास्तु है क्या और इसके अनुसार मकान, दुकान जैसी चीजें नहीं होने पर क्या हो सकता है या क्या होता है।
क्या यह कोई विज्ञान है या विज्ञान की कोई शाखा है या अंधविश्वास का ही एक विस्तार है। और तो और क्या इसमें कोई कॅरियर भी हो सकता है। प्राचीन मान्यताओं की माने तो हर दिशा विशेष गुण के लिए होती है और उन गुणों के मुताबिक मकान वगैरह बनाने से लाभ होता है। उन्ही बातो को दुसरे शब्दों में लोग दिशाओं का विज्ञान मानते है लेकिन दूसरा पहलू यह भी है कि कुछ लोग इसे मानते हैं और इसके अनुरूप निर्माण कार्य कराने में भरपूर यत्न करते है वही दूसरी तरफ ऐसे लोग भी है जो इसे कोरा अंधविश्वास मानते है और कहते हैं कि दिशाओं, उनके गुणों या इससे होने वाले लाभ की बात बेमानी है रही बात करियर की तो जो लोग इसमें यकीन करते है उन्हें परामर्श देकर ठीक ठाक कॅरियर बनाया जा सकता है। वास्तुशास्त्री के काम का तरीका वास्तुशास्त्री का कार्य परामर्श का कार्य है।
भवन निर्माण करने के इच्छुक लोग यह जानना चाहते है कि उनके नक्शे में ड्राइंग रूम कहा हो, किचन कहा हो, बाथरूम कहा हो ताकि उन पर या उनके परिवार पर किसी प्रकार का नकारात्मक असर ना हो और उनकी सुख समृद्धि बढ़ती रहे। वास्तुशास्त्री को यह बताकर भी जमीन की लंबाई चौड़ाई और कौन सी दिशा किधर है समझा जा सकता है कि नक्षा कैसे बने, वही दूसरी तरफ वास्तुशास्त्री को उस जमीन तक लाकर भी उसे दिखाया जा सकता है और चिन्हित किया जा सकता है कि मकान में कहा क्या हो। वास्तु शास्त्र में तीन वर्षीय डिप्लोमा कोर्स किया जा सकता है जिसकी शैक्षणिक योग्यता 12वीं पास है। स्नातक में किसी भी विषय की पढ़ाई के साथ इस कोर्स को किया जा सकता है। प्रथम वर्ष में..इसमें प्रमाण-पत्र दिया जाता है। दूसरे वर्ष में डिप्लोमा कोर्स होता है। तीसरे वर्ष में एडवांस डिप्लोमा कोर्स होता है।