नई दिल्ली। विनिर्मित उत्पादों, ईंधन और बिजली की कीमतों में आई तेजी से थोक मूल्य आधारित मुद्रास्फीति की दर अक्टूबर में बढ़कर 5.28 प्रतिशत हो गई, जबकि सितंबर में यह आंकड़ा 5.13 प्रतिशत और पिछले साल के समान माह में 3.68 प्रतिशत रहा था। इससे पहले अगस्त 2018 में सब्जियों, फलों, दालों और शकर के दाम घटने से थोक महंगाई की दर घटकर चार माह के निचले स्तर 4.53 प्रतिशत रही थी लेकिन इसके बाद इसमें लगातार दूसरे माह तेजी दर्ज की गई है।
चालू वित्त वर्ष में अब तक थोक महंगाई की औसत दर 4.64 प्रतिशत रही है। पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में यह 2.12 प्रतिशत दर्ज की गई थी। इससे पहले 12 नवंबर को जारी आंकड़ों के अनुसार, सब्जियों, दालों, शकर और पेय पदार्थों की कीमतों में आई गिरावट से अक्टूबर में खुदरा मुद्रास्फीति की दर घटकर 3.31 प्रतिशत रही थी।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा आज जारी आंकड़ों के अनुसार, थोक महंगाई में आई इस बढ़ोतरी की मुख्य वजह ईंधन एवं बिजली तथा विनिर्मित उत्पादों के महंगाई दर में आई बढ़त है। मटर, बाजरा, उड़द आदि की कीमतों में रही तेजी के कारण खाद्य पदार्थों के समूह के सूचकांक में 0.9 प्रतिशत और कच्चा तेल एवं प्राकृतिक गैस के समूह में 4.1 प्रतिशत की बढ़त रही। गैर खाद्य पदार्थों के समूह के सूचकांक में 1.1 प्रतिशत और धातुओं में 4.3 प्रतिशत की गिरावट रही।
हालांकि इस दौरान चमड़े और चमड़े से निर्मित वस्तुओं में 0.8 प्रतिशत, इलेक्ट्रिक उपकरण में 0.2 प्रतिशत और लकड़ियों से बने उत्पाद में 0.7 प्रतिशत की गिरावट रही। निर्मित खाद्य पदार्थों के समूह में मटर छह प्रतिशत, बाजरा पांच प्रतिशत, ज्वार और मुर्गी चार-चार प्रतिशत, उड़द तथा मक्का 3-3 प्रतिशत, बार्ली, चना, फल एवं सब्जियां और अंडे 2-2 प्रतिशत, गेहूं रागी 1-1 प्रतिशत महंगा हो गया। हालांकि इस अवधि में पान तीन प्रतिशत, चाय और समुद्री मछलियां 2-2 प्रतिशत, मसाले, मूंग, तुअर और राजमा 1-1 फीसदी सस्ते हुए।