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ओएनजीसी के खजाने को लगा तगड़ा झटका

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Oct 21 2018 11:22AM | Updated Date: Oct 21 2018 11:22AM
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मुंबई। ओएनजीसी एक सरकारी कंपनी है और देश की सबसे ज्यादा मुनाफा कमाने वाली कंपनी भी। आॅइल एंड नेचुरल गैस कारपोरेशन (ओएनजीसी) इन दिनों चर्चाओं में बनी हुई है। इसके बावजूद भी पिछले एक साल में इसके कैश रिजर्व यानि उसके जमा पैसे में 92% की कमी आ गई है। यही कारण है कि इसे लेकर बाजार में चर्चाओं का बाजार गरम है।
 
जानकारी के मुताबिक इस कंपनी के मजदूर संगठन ने  पत्र लिखकर सरकार को इसकी बबार्दी का जिम्मेदार ठहराया है। दरअसल, पिछले दो साल में बीजेपी सरकार ने ओएनजीसी से जिस तरह के निवेश कराए हैं उससे सरकार को अपनी नाकामी छुपाने का मौका मिला है और प्रधानमंत्री  के करीबी उद्योगपति गौतम अडानी को फायदा पहुंचा है।
 
अब बात आती है जीएसपीसी की। ये गुजरात सरकार की एक परियोजना ने जिसे प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री रहते शुरू करा था। इसमें उद्योगपति गौतम अडानी की हिस्सेदारी है। ये परियोजना गुजरात बेसिन में गैस खोजने के लिए शुरू करी गई थी लेकिन गैस तो मिली नही बल्कि इस परियोजना पर बैंकों का 20,000 करोड़ का कर्ज हो गया। 
 
कैग ने आरोप लगाया कि इस परियोजना में जो निजी कंपनियां यानी अडानी समूह ने बैंक से लिए कर्ज का इस्तेमाल कहीं और किया और बाद में परियोजना को बर्बाद दिखा दिया। वर्ष 2014, में सत्ता में आने के बाद सरकार ने ओएनजीसी पर दबाव डाला कि वो इस परियोजना में हिस्सेदारी खरीदे ताकि वो कर्ज से बाहर निकल सके।
 
इसके बाद ओएनजीसी ने इस परियोजना में 8000 करोड़ रुपए का निवेश किया। अब हाल ये है कि ओएनजीसी जो देश की सबसे ज्यादा मुनाफा कमाने वाली कंपनी थी अब खुद कर्ज लेने की स्तिथि मी आ गई है। गुजरात की जीएसपीसी परियोजना के बारे में नीचे विस्तार से बताया गया है।
 
न जानें कहां गए हड़प किए जमा पैसे!
ओएनजीसी ने पिछले दो सालों में कर्ज में डूबे गुजरात राज्य पेट्रोलियम निगम (जीएसपीसी) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कारपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) में हिस्सेदारी खरीदी है। इन दोनों खरीदारी के लिए सरकार ने ही ओएनजीसी पर जोर डाला। और इस से ओएनजीसी के खजाने को तगड़ा झटका लगा। दरअसल, जीएसटी लागू होने के बाद केंद्र  सरकार ने जिस तरह से टैक्स कलेक्शन बढ़ने का वादा किया था वो हो नहीं पाया। उल्टा नोटबंदी और जीएसटी के कारण हजारों व्यवसाय बंद हुए और टैक्स कलेक्शन घट गया। अब अपनी इस नाकामी छुपाने के लिए सरकार ने एचपीसीएल में अपने शेयर ओएनजीसी को 36,915 करोड़ रुपए में बेच दिए ताकि सरकार चुनावी साल में सही से खर्चा कर सके।
 
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