19 Apr 2024, 04:08:22 के समाचार About us Android App Advertisement Contact us app facebook twitter android
Business

बिल्डर दिवालिया हुआ तो घर में पैसा लगाने वालों की राशि पहले होगी वापस

By Dabangdunia News Service | Publish Date: May 24 2018 1:09PM | Updated Date: May 24 2018 1:10PM
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

नई दिल्ली। जो लोग घर खरीदने वाले हैं उनके हक में बुधवार को केद्रीय कैबिनेट ने बड़ा फैसला लिया है। इस फैसले के तहत अब बिल्डर कंपनी के दिवालिया होने पर घर खरीदारों को फाइनेंशियल क्रेडिटर का दर्जा मिलेगा। दिवालियापन और दिवालियापन कोड में बदलाव के लिए अध्यादेश लाने को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है।
 
नीलामी में प्रमोटर को भी हिस्सा लेने की छूट होगी, लेकिन डिफॉल्टर नहीं होने पर ही प्रामोटर को छूट मिलेगी। इसका मतलब है कि घर के खरीदारों को अब बैंकों और संस्थागत लेनदारों के बराबर माना जाएगा और दिवालिया या दिवालिया अचल संपत्ति कंपनियों से बकाया राशि वसूलते समय उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी। 
 
फंसा है कई लोगों का पैसा
इससे अपूर्ण अचल संपत्ति परियोजनाओं में फंसे घर खरीदारों को राहत मिलेगी। तमाम शहरों में निर्माण कंपनियों के डूबने के मामलों में हजारों होम बायर्स का पैसा फंसा है। ऐसे में सरकार का यह फैसला उनके लिए बड़ी राहत का सबब लेकर आया है। वित्त मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि कमिटी की सोच है कि बिल्डर के दिवालिया होने पर उन घर खरीददारों को अकेला नहीं छोड़ा जा सकता, जिन्हें पजेशन नहीं मिला है। इससे तो उनके सारे पैसे डूब जाएंगे और उन्हें घर भी नहीं मिलेगा।
 
इस तरह होगी पैसे की वापसी 
दिवालिया बिल्डर या बिल्डर कंपनी की सम्पत्ति बेचने पर जितना धन मिलेगा, उसमें कितना फीसदी घर खरीददारों को दिया जाए, इस बात का फैसला कई पैमानों पर तय किया जा सकता है। सबसे पहले यह देखा जाए कि बिल्डर पर कितना पैसा बकाया है। कितने घर खरीददारों को पजेशन नहीं मिला है और उनकी कितनी देनदारी है। यह देखा जाए कि कितने का लोन बिल्डर पर बकाया है। इसके बाद यह तय किया जाए कि संपत्ति बेचने के बाद उससे प्राप्त धन में कितनी हिस्सा घर खरीददारों को दिया जा सकता है। इसके लिए बैंकों और अन्य एक्सपर्ट से बात करके अंतिम फैसला लिया जा सकता है।
 
इसलिए है जरूरी
- वित्त मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि ऐसे मामले सामने आए हैं कि कई बिल्डर कंपनियों ने आवासीय परियोजना के लिए प्राप्त धन को अपनी किसी अन्य कंपनी में लगा दिया। इससे प्रोजेक्ट में देरी हुई और उसके पास धन की कमी हो गई। ऐसे में घर खरीददारों को घर पाने के लिए लंबे समय से इंतजार करना पड़ रहा है। 
 
- सरकार ने इन्सॉल्वंसी एंड बैंकरप्ट्सी कोड के तहत ऐसे में मामलों को सुलझाने के लिए तीन मापदंड तय किए हैं। पहले कंपनी से बात की जाए और उसे इस समस्या को निपटाने के लिए तय समय दिया जाए। अगर कंपनी बात न करे तो तय समय के बाद उसकी संपत्ति अटैच की जाए। अगर कंपनी खुद को दिवालिया घोषित करती है तो उसकी पूरी संपत्ति को अटैच कर उसे तुंरत बेचा जाए। 
 
  • facebook
  • twitter
  • googleplus
  • linkedin

More News »