नई दिल्ली। सरकार ने गेहूं पर इंपोर्ट ड्यूटी 20 फीसदी से बढ़ाकर 30 फीसदी कर दी है। सरकार के इस कदम से किसानों को फायदा होगा। सूत्रों का कहना है कि इस संबंध में जल्द ही नोटिफिकेशन जारी कर दिया जाएगा। सूत्रों का कहना है कि सरकार ने यह फैसला सस्ते इंपोर्ट को हतोत्साहित करने के लिए किया है। सस्ते आयात से गेहूं के दाम पर दबाब बढ़ जाताए जिससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ता।
गेहूं पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाए जाने की दो प्रमुख वजहें हैं। पहला, विदेशी गेहूं उत्पादक देशों से कड़ा मुकाबला।
दूसरा, देश में गेहूं का बंपर उत्पादन। गेहूं उद्योग से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि 20 फीसदी की इंपोर्ट ड्यूटी और क्लियरिंग चार्ज मिलाकर यूक्रेन और रूस से गेहूं का इंपोर्ट 22300 रुपए प्रति टन पड़ता है। मध्यप्रदेश में पैदा होने वाली वेराइटी का भाव 22800 रुपए प्रति टन चल रहा है, जिसकी वजह से एमपी के गेहूं को रूस से कड़ी प्रतिस्पर्धा झेलनी पड़ रही है। इसी तरह से आस्ट्रेलिया से आयातित प्रीमियम गेहूं का दाम भी 24300 रुपए प्रति टन चल रहा है।
सरकार के तीसरे अग्रिम अनुमान के मुताबिक देश में गेहूं का रिकॉर्ड पैदावार होने की संभावना है। 2017-18 में देश में गेहूं का उत्पादन 9.86 करोड़ टन होने का अनुमान है। सरकार ने इससे पहले देश में चने के रिकार्ड उत्पादन को ध्यान में रखते हुए इसके आयात को बढ़ाकर 60 फीसदी कर दिया था। यह बढ़ोतरी मार्च में की गई थी। राजस्व विभाग की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक चने पर इंपोर्ट ड्यूटी 50 फीसदी से बढ़ाकर 60 फीसदी कर दी गई थी। इससे पहले फरवरी के पहले सप्ताह में सरकार ने चना पर इंपोर्ट ड्यूटी 30 फीसदी से बढ़ाकर 50 फीसदी कर दी थी।