नई दिल्ली। सरकार ने ‘निश्चित अवधि के रोजगार’ की व्यवस्था का विस्तार कर इसे सभी उद्योगों में लागू कर दिया गया है। अब तक यह व्यवस्था सिर्फ कपड़ा उद्योग में ही थी। स्थायी कर्मचारियों के हितों की रक्षा की दिशा में भी बड़ा कदम उठाते हुए उन्हें निश्चित अवधि रोजगार की श्रेणी में लाने पर भी रोक लगा दी गई है। श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की शुक्रवार को जारी अधिसूचना में कहा गया है कि ‘निश्चित अवधि के रोजगार’ पर नियुक्त कर्मचारियों के वेतन, भत्ते, काम के घंटे तथा शर्तें आदि किसी भी सूरत में स्थायी कर्मचारियों से कम नहीं हो सकतीं। लेकिन, उनकी नियुक्ति एक निश्चित अवधि के लिए होगी जिसके बाद यदि सेवा पुनर्स्थापित नहीं की जाती है तो नियुक्ति अपने -आप खत्म हो जायेगी और कर्मचारी किसी तरह के नोटिस या मुआवजे की माँग नहीं कर सकेगा।
अधिसूचना के जरिये औद्योगिक रोजगार (स्थायी आदेश) अधिनियम, 1946 में बदलाव किया गया है। यह भी प्रावधान किया गया है कि अधिसूचना जारी होने की तिथि पर जो कर्मचारी स्थायी सेवा में थे, कंपनियाँ उन्हें निश्चित अवधि सेवा में स्थानांतरित नहीं कर सकतीं। अधिसूचना शुक्रवार से ही प्रभावी हो गई है। अधिसूचना के अनुसार, 'निश्चित अवधि रोजगार' के तहत काम कर रहे कर्मचारियों के काम के घंटे, मजदूरी, भत्ते किसी स्थायी कर्मचारी से कम नहीं होंगे। साथ ही वह स्थायी कर्मचारियों के लिए उपलब्ध सभी कानूनी लाभों का भी हकदार होगा, हालाँकि उसे ये लाभ उसकी सेवा की अवधि के अनुपात में मिलेंगे। इसमें अस्थायी कर्मचारियों के बारे में कहा गया है कि मासिक, साप्ताहिक या बदली पर काम करने वाले तथा प्रोबेशनरों की सेवा समाप्त करने के लिए किसी नोटिस की जरूरत नहीं होगी।
हालाँकि, यह भी प्रावधान किया गया है कि किसी अस्थायी कर्मचारी को सजा के तौर पर हटाने से पहले उसे स्पष्टीकरण का मौका दिया जाना जरूरी होगा। यदि कोई अस्थायी कर्मचारी लगातार तीन महीने की सेवा पूरी कर लेता है और उसे नियुक्ति की शर्तों से इतर हटाया जा रहा है तो उसकी सेवा समाप्त करने के लिए दो महीने का नोटिस देना होगा। बदली कर्मचारी को स्थायी कर्मचारी के वापस आने से पहले हटाने पर नियोक्ता को लिखित में इसका कारण बताना होगा। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस साल बजट भाषण में निश्चित अवधि के रोजगार की व्यवस्था को सभी उद्योगों में लागू करने की घोषणा की थी।