नई दिल्ली। केन्द्र सरकार ने 1 जुलाई को देशभर में गुड्स एंड सर्विस टैक्स लागू करने की पूरी तैयारी कर ली है। इसके लिए 30 जून जहां संसद के केन्द्रीय हॉल में जीएसटी लॉन्च का कार्यक्रम रखा गया है वहीं केन्द्र सरकार बुधवार को लॉन्च की तैयारी का मॉक ड्रिल या रिहर्सल करने जा रही है।
सरकार के दावे के मुताबिक, 81 फीसदी चीजें जीएसटी में 18 फीसदी से कम की स्लैब में रखी गई हैं। 19 फीसदी चीजें ऐसी हैं जिनपर 18% से ज्यादा यानी सीधा 28 फीसदी टैक्स लगेगा। इनमें से कई प्रॉडक्ट्स रोजमर्रा के जीवन से जुड़े हैं और अपके फैमली का बजट तक बिगाड़ सकते हैं।
देश में आजादी के बाद का सबसे बड़ा कर सुधार यानी जीएसटी लागू होना है। ऐसे में सरकार की ओर से इसे लागू करने के लिए पुख्ता तैयारियां की गई हैं। जिसमें वित्त मंत्रालय में कई टेलीफोन और कम्प्यूटर सिस्टम से लैस एक मिली वॉर रूप बनाया गया है। वॉर रूम के माध्यम से ही अधिकारियों से जीएसटी पर फीडबैक लिया जाएगा।
वनाजा एस शर्मा के मुताबिक यह वॉर रूम सुबह 8 से रात 10 बजे तक चालू रहेगा। जिसमें तकनीकि तौर पर कुशल युवा अफसरों की एक पूरी दिन मिलकर काम करेगी। इसमें जीएसटी से जुड़ी तमाम शंकाओं और समस्याओं को दूर करने की कोशिश की जाएगी।
अमेरिका में भी इसका गया जिक्र
अमेरिका दौरे पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अमेरिकी बिजनेस स्कूल भारत में वस्तु एवं सेवा कर के क्रियान्वयन का अध्ययन कर सकते हैं। एक जुलाई से जीएसटी के क्रियान्वयन से पहले उन्होंने यह सुझाव दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ पहली बैठक से पहले अमेरिका की शीर्ष 20 कंपनियों के प्रमुखों के साथ उन्होंने रविवार को बातचीत की थी।
क्या है ये इनपुट टैक्स क्रेडिट?
मान लीजिए 100 रुपए का कच्चा माल बिस्किट बनाने के लिए कारोबारी खरीदने गया। इस पर कच्चा माल सप्लाई करने वाले ने 12 फीसदी टैक्स चुकाया तो निर्माता को कच्चे माल के लिए 112 रुपए देने पड़ेृ लेकिन ये 12 रुपए जो टैक्स भरा गया वो लागत से अलग होगा। अब इस कच्चे माल से निर्माता ने बिस्किट बनाया और उस पर अपना मार्जिन रखा 8 रुपए। इसके बाद निर्माता बिस्किट को थोक विक्रेता को बेचेगा। थोक विक्रेता ने निर्माता को जो 19 रुपए 44 पैसे चुकाए उसमें से 12 रुपए कम कर घट जाएंगे जो निर्माता ने 100 रुपये के साथ कच्चा माल खरीदने वक्त दिए थे और सरकार को जीएसटी चुकाना पड़ेगा सिर्फ 7 रुपए 44 पैसे, यहां जो 12 रुपए बिस्किट बनाने वाले को बचे वही इनपुट टैक्स क्रेडिट है।
क्या छोटे कारोबारियों का नुकसान है?
छोटे व्यापारियों को लग रहा है कि इससे उनके कारोबार को नुकसान होने वाला है, घबराहट वाज़िब है लेकिन सरकार की तरफ से उनके डर को हटाने का उपाय भी किया गया है। 75 लाख रुपए तक के सालाना टर्नओवर वाले कारोबारियों के लिए सरकार कंपोजीशन स्कीम लेकर आयी है। कंपोजीशन स्कीम में तीन स्लैब हैं कंपोजीशन स्कीम में जो व्यापारी हैं उनमें से ट्रेडिंग में हैं तो 75 लाख तक का व्यक्ति 1 फीसदी टैक्स देगा। मैन्युफैक्चरिंग में है तो 2 फीसदी टैक्स और अगर वो रेस्टोरेंट के बिजनेस में है तो 5 फीसदी टैक्स देगा।
ये चीजें होंगी सस्ती
इस बिल के लागू होने के बाद लेनदेन पर से वैट और सर्विस टैक्स ख़त्म हो जाएगा, ऐसी स्थिति में घर खरीदना और रेस्टोरेंट में खाना सस्ता हो जायेगा। अब तक वैट हर राज्य के लिए अलग-अलग, बिल के 40 प्रतिशत हिस्से पर 6 और 15 प्रतिशत सर्विस टैक्स पर लगता है जबकि जीएसटी में सिर्फ एक टैक्स लगेगा जो आपकी जेब के लिए फायदे का सौदा होगा। साथ ही आम आदमी के जरूरत की चीजें जैसे एयरकंडीशनर, माइक्रोवेव ओवन, फ्रिज और वाशिंग मशीन आदि ससते हो सकते हैं। इसकी वजह ये है कि अभी ऐसी चीजों पर फिलहाल 12.5 परसेंट एक्साइज और 14.5 परसेंट वैट लगता है, जबकि जीएसटी के बाद सिर्फ 18 फीसद टैक्स लगेगा। खरीदारी के अलावा माल की ढुलाई भी 20 प्रतिशत सस्ती होगी जिसका फायदा लॉजिस्टिक्स इंडस्ट्री को मिलने की संभावना है।
ये होगा मंहगा
आपको बता दें कि चाय-कॉफी, डिब्बाबंद खाने के समान के 12 फीसदी तक महंगे होने के आसार हैं क्योंकि इन प्रोडक्ट्स पहले ड्यूटी नहीं लगती थी पर अब ये टैक्स के दायरे में आ जाएंगे। इसके साथ मोबाइल बिल, क्रेडिट कार्ड का बिल भी महंगा होगा। सर्विसेस पर 15 प्रतिशत टैक्स लगता है जिसमें 14 प्रतिशत सर्विस टैक्स, 0.5 फीसदी स्वच्छ भारत सेस और 0.5 प्रतिशत कृषि कल्याण सेस शामिल है जो जीएसटी के बाद बढ़कर 18 प्रतिशत से ज्यादा हो जाएगा। GST आने के बाद MRP पर भी टैक्स लगने लगेगा। कीमती पत्थरों और जेवर का भी महंगा होना तय है क्योंकि पर लगने वाली ड्यूटी 3 प्रतिशत से बढ़ कर 17 प्रतिशत तक हो जाएगी। रेडिमेड गारमेंट भी महंगे होंगे क्योंकि 4 से 5 फीसद वैट GST के बाद बढ़ कर 12 प्रतिशत हो जाएगा।
किस पर कितना टैक्स
- जीएसटी बिल में साफ है कि चावल और गेहूं जैसी आवश्यक वस्तुओं पर कोई कर नहीं लागू होगा।
- वहीं मसालों, चाय और खाद्य तेल जैसे बड़े पैमाने पर खपत के सामान के लिए पर 5% की सबसे कम कर दर प्रस्तावित है।
- सबसे अधिक विनिर्मित वस्तुओं और सेवाओं को कवर करने में 12% और 18% की दो "मानक" में कर लागू होंगे।
- वहीं 28% का उच्चतम कर, लक्जरी कारों, पान मसाला, तम्बाकू और मंहगे पेय पदार्थों आदि पर लगाया जाएगा।
रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी नहीं
कनफेडरेशन के मुताबिक लगभग छह करोड़ छोटे कारोबारी बीस लाख से कम के टर्नओवर वाले हैं। इनके लिए जीएसटी के तहत रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी नहीं होगा। वहीं करीब एक करोड़ कारोबारी कंपोजिट स्कीम के तहत आएंगे। मगर इन्हें रजिस्ट्रेशन कराना होगा। बाकी के दो करोड़ छोटे कारोबारी किसी अप्रत्यक्ष कर कानून के दायरे में नहीं आते। इसलिए इनको जीएसटी में रजिस्ट्रेशन कराना ही होगा। इनमें से ज्यादातर के पास कंप्यूटर नहीं हैं। क्योंकि मौजूदा वैट प्रणाली के तहत टैक्स का काम कागज से चल जाता था।
ये स्कीम ऐसे काम करेगी
मान लीजिए कोई रेडिमेड कपड़े बेचने वाला एक व्यापारी का सालान टर्नओवर 75 लाख रुपए का है, अगर वो कंपोजिशन स्कीम लेता है तो उसे 75 लाख का 1 फीसदी यानी 75 हजार रुपए टैक्स में एक ही बार देना है। स्कीम का फायदा ये होगा कि व्यापारियों को हर तिमाही में एक रिटर्न और साल का एक रिटर्न यानी कुल 5 रिटर्न ही दाखिल करने होंगे, कागज़ी कार्रवाई का झंझट कम होगा, नुकसान ये है कि ना तो इन्हें इनपुट टैक्स क्रेडिट मिलेगा और ना ही ये अपने ग्राहक से जीएसटी वसूल पाएंगे।
एक देश समान टैक्स
इसके चलते पूरे देश में एक समान टैक्स लागू होने से राज्यों के बीच कीमतों का अंतर भी घटेगा। सरकार और उद्योग जगत दोनों का ही मानना है कि जीएसटी लागू होने से पूरे देश में कारोबार करना आसान होगा, जिससे जीडीपी में कम से कम 2 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है।
क्या है GST
'गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स’ यानी 'जीएसटी’ एक नया टैक्स है जो एक्साइज ड्यूटी, वैट, सर्विस टैक्स, एंट्री टैक्स, सीएसटी वगैरह जैसे कई टैक्सों को रिप्लेस करेगा। यानि आम आदमी की नजरों से देखें, तो अभी जो 30 से 35 प्रतिशत तक टैक्स भरता है उसे करीब आधा यानी 17 से 18 प्रतिशत तक ही टैक्स देना पड़ेगा। हालांकि यह अलग-अलग सामान पर निर्भर करेगा।