मुंबई। टाटा पावर ने 4,000 मेगावाट क्षमता की मूंदड़ा बिजली परियोजना में 51 प्रतिशत हिस्सेदारी गुजरात जैसे राज्यों को एक रुपए में बेचने की पेशकश की है। कंपनी ने अपने इस कारोबार को लेकर बढ़ते कर्ज और नुकसान से पार पाने के लिए यह पेशकश की है। गुजरात और अन्य राज्य कंपनी से बिजली खरीदते हैं।
टाटा पावर की इकाई और मूंदड़ा परियोजना का परिचालन करने वाली कोस्टल गुजरात पावर लि. (सीजीपीएल) ने गुजरात ऊर्जा विकास निगम लि. को इस महीने की शुरुआत में पत्र लिखकर केवल 49 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने और परियोजना को बतौर ठेकेदार चलाने की पेशकश की। यह पेशकश इस शर्त पर की गई कि खरीदार सभी बिजली उच्च शुल्क पर खरीदे।
नहीं बचा कोई विकल्प!
कंपनी पर बकाया कर्ज 10,159 करोड़ रुपए है और परियोजना के व्यवहारिक नहीं होने से बैंकों और वित्तीय संस्थानों ने आगे कर्ज के वितरण करने से मना कर दिया है। टाटा ने फरवरी 2006 में बोली के जरिए गुजरात में 4,000 मेगावाट क्षमता की मूंदड़ा परियोजना हासिल की। इस के लिए कीमत 2.26 रुपए प्रति यूनिट की बोली लगाई गई।
इस इकाई को टाटा समूह की इंडोनेशिया में कोयला खान से आयातित कोयले के जरिए चलाया जाना था। इंडोनेशिया सरकार ने 2010 में कहा कि कोयले का निर्यात केवन अंतरराष्ट्रीय दरों के आधार पर ही हो सकता है। इसको देखते हुए टाटा ने बिजली के लिए अधिक शुल्क की मांग की लेकिन उच्चतम न्यायालय ने याचिका को खारिज कर दिया। इस बारे में संपर्क किए जाने पर टाटा पावर ने कहा कि उसने कोई विकल्प नहीं बचने के बाद यह सुझाव दिया है।
केंद्र आंख मूंदकर नहीं बैठ सकता
कंपनी ने एक बयान में कहा कि सीजीपीएल संयंत्र को व्यवहारिक बनाने के लिए सभी संबद्ध पक्षों के साथ विचार-विमर्श कर सभी विकल्पों को देखा है और उसे खंगालना जारी रखेगा। बिजली मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि कंपनी ने राज्य सरकार को पत्र लिखा है और खरीदार तथा कंपनी को मुद्दे को सुलझाना है। उन्होंने कहा, ‘लेकिन देश में जिम्मेदार सरकार के रूप में केंद्र सरकार सभी संबद्ध पक्षों को एक मंच पर लाने में भूमिका निभाने को तैयार है ताकि सोच-समझकर निर्णय किया जा सके।’ मंत्री ने कहा कि केंद्र आंख मूंदकर बैठे नहीं रह सकता।
सूत्रों के अनुसार सीजीपीएल पत्र में कहा है कि कंपनी की वित्तीय स्थिति लगातार बिगड़ रही है और ऐसी स्थिति में पहुंच गई है जहां उसे काफ नुकसान उठाना पड़ रहा है। कंपनी चाहती है कि शुल्क पर फिर से बातचीत हो या बिजली खरीदार सीजीपीएल में 51 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी नाममात्रा एक रुपए में ले ले और र्इंधन लागत के हिसाब से बिजली खरीद कर परियोजना को राहत दे।