मुंबई। पेट्रोल और डीजल कारों के भविष्य को लेकर एक स्टडी ने चौंकाने वाला दावा किया है। अध्ययन में यह बात सामने आ गई है कि 8 साल के भीतर पेट्रोल-डीजल कारें खत्म हो जाएंगी और उनकी जगह इलेक्ट्रिक कारों ले लेंगी। स्टैंडफोर्ड यूनिवर्सिटी के अर्थशास्त्री टोनी सेबा ने दावा है कि 2030 तक आॅइल (कार फ्यूल) बिजनेस लगभग पूरी तरह से खत्म हो जाएगा।
इस दावे की वजह में उन्होंने बताया है कि इलेक्ट्रिक कारों की कीमतें बेहद कम होंगी, जिसके चलते फ्यूल कारें बंद हो जाएंगी। रिपोर्ट के मुताबिक हर तरह के वाहन जैसे गाड़ियां, ट्रक, ट्रैक्टर, बस आदि सभी इलेक्ट्रिक कारों को ही चुनेंगे। भारत की बात करें तो नागपुर शहर में महिंद्रा और ओला जैसी कंपनियां जल्द इलेक्ट्रिक कैब्स की शुरुआत करने जा रही हैं।
10 गुना सस्ता मिलेगा इलेक्ट्रिक वाहन
रीथिंकिंग ट्रांस्पोर्टेशन 2020-2030 नाम की रिपोर्ट में टोनी का दावा है कि लोग आने वाले समय में इलेक्ट्रिक वाहनों की तरफ बढ़ेंगे, क्योंकि इलेक्ट्रिक व आॅटोनमस वीकल्स पर आने वाला खर्च पेट्रोल-डीजल के मुकाबले 10 गुना सस्ता होगा।
इनका मेंटेनेंस और फ्यूल कॉस्ट भी न के बराबर हो जाएगी। इसके अलावा इलेक्ट्रिक वाहनों की लाइफ फ्यूल वाहनों से ज्यादा होगी। उनके मुताबिक जहां फॉसिल फ्यूल वाहनों के इंजन 3 लाख किलोमीटर तक चलने के बाद लगभग बेकार हो जाते हैं, वहीं इलेक्ट्रिक कार्स की लाइफ 16 लाख किलोमीटर तक रहेगी। वहीं 2025 तक लगभग सभी तरह की कार्स जैसे बस, ट्रैक्टर, वैन्स, टू- व्हीलर्स सभी इलेक्ट्रिक होंगे।
नई तकनीक पर जोर
टोनी कहते हैं कि एक दशक से कम वक्त में ही पेट्रोल पंपों, स्पेयर पार्ट्स और मशीनरी की भारी कमी हो जाएगी। इंटरनल कम्बस्शन इंजन 1910 से चले आ रहे हैं, जिससे वायु प्रदूषण की समस्या भी बढ़ी है। ऐसे में इस स्थिति से निपटने के लिए भी इलेक्ट्रिक कार्स की संख्या में इजाफा होगा। इलेक्ट्रिक कार्स का भविष्य उज्ज्वल माना जाता है। ऐसे में आॅडी, वॉक्सवेगन, मर्सिजीड-बेंज समेत कई आॅटोमोबाइल मैनुफैक्चरर्स इलेक्ट्रिक वाहन बनाने की तकनीक पर जोर दे रहे हैं।