नई दिल्ली। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा सस्ते मकान उपलब्ध कराने के लिए शुरू की गई कर्ज से जुड़ी ब्याज सब्सिडी योजना (सीएलएसएस) से आम गरीबों के साथ-साथ मध्यम आय वर्ग के लोगों के भी घर के सपने को पंख लग सकते हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत इस महत्त्वपूर्ण पहल के तहत निजी बिल्डरों को भी काम करने की छूट से यह काम और आसान हो गया है।
राज्य नगरीय विकास अभिकरण (सूडा) के परियोजना प्रबंधक विनोद कनौजिया ने बताया कि केंद्र सरकार ने वर्ष 2022 तक हर नागरिक के सिर पर छत दिलाने के महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य के तहत सीएलएसएस योजना शुरू की है। इसके तहत न सिर्फ आर्थिक रूप से कमजोर तबके (ईडब्ल्यूएस) और निम्न आय वर्ग (एलआईजी), बल्कि मध्यम आय वर्ग (एमआईजी) के लोगों को भी घर के लिए कर्ज पर ब्याज पर अनुदान मिलता है।
यह पूछे जाने पर कि लखनऊ में कई निजी बिल्डर भी प्रधानमंत्री आवास योजना की सीएलएसएस स्कीम के तहत काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया इस योजना के तहत कोई भी निजी बिल्डर कर्जदाता बैंक की मदद से मकानों का निर्माण कर सकते हैं और इसके लिए सूडा से मंजूरी लेने की भी जरूरत नहीं है। राजधानी लखनऊ में कई निजी बिल्डर इसके तहत काम कर रहे हैं। इसमें कुछ भी गलत नहीं है। आवास एवं शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय के निदेशक आरके गौतम ने बताया कि सीएलएसएस प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के चार अंगों में से एक है।
यह योजना बैंकों तथा अन्य अधिकृत वित्तीय संस्थाओं के माध्यम से लागू की जा रही है। सीएलएसएस योजना के तहत लखनऊ में आवासीय परियोजना चला रहे हाएड्स इन्फ्रा के निदेशक मोहम्मद उमर रजा ने बताया कि आवास एवं नगर विकास निगम (हुडको) तथा नेशनल हाउसिंग बैंक (एनएचबी) को सीएलएसएस के तहत कर्ज सब्सिडी के व्यवस्थापन तथा निगरानी के लिए नोडल एजेंसी बनाया गया है। उन्होंने कहा कि सीएलएसएस योजना का समुचित प्रचार-प्रसार न होने के कारण अक्सर इसमें निजी बिल्डरों की भूमिका को लेकर भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो रही है।
आवास एवं शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार सीएलएसएस योजना के तहत ईडब्ल्यूएस तथा एलआईजी वर्ग के पात्र लोग सीएलएसएस के तहत कर्ज पर साढ़े छह प्रतिशत तक ब्याज सब्सिडी हासिल कर सकेंगे। इसके अलावा मध्यम आय वर्ग की प्राथमिक श्रेणी में छह से 12 लाख रुपए तक के कर्ज पर चार प्रतिशत ब्याज सब्सिडी तथा 12 से 18 लाख रुपए के कर्ज पर तीन प्रतिशत ब्याज अनुदान दिया जा रहा है।
मुनाफे से जुड़ी आयकर छूट योजना की भी घोषणा
सरकार ने इस साल के बजट में सस्ते आवासों के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए उनके प्रवर्तकों के लिए मुनाफे से जुड़ी आयकर छूट योजना की भी घोषणा की है। इसमें इस साल के बजट में कुछ और बदलाव किए गए। आवास में पहले जहां बिल्ट-अप क्षेत्र को गिना जाता था उसे अब 30 और 60 वर्गमीटर का कॉरपेट क्षेत्र कर दिया गया। 30 वर्गमीटर की सीमा चार महानगरों की म्युनिसिपल सीमा पर ही लागू होगी शेष देश में 60 वर्गमीटर सीमा लागू होगी। इस तरह के योजनाओं को पहले जहां तीन साल में पूरा करना होता था इस साल के बजट में उसे बढ़ाकर पांच साल कर दिया गया।