मुंबई। टाटा मोटर्स ने मैनेजर स्तर के 1500 कर्मचारियों की छंटनी कर दी है। साथ ही कुछ के ट्रांसफर किए गए और कुछ को समय से पूर्व ही सेवानिवृत्त कर दिया गया। कंपनी ने ऑर्गेनाइजेशनल रीस्ट्रकक्चोरिंग के तहत यह कदम उठाया है। कंपनी के एम.डी. और चीफ एक्जक्यिुटिव गुंटर बुत्शेक के मुताबिक कंपनी के कुल 13 हजार मैनेजरों में करीब 10% से 12% (1,500 तक) की कमी की गई है। इसके साथ ही टाटा मोटर्स भी उन कंपनियों में शामिल हो गई है जो इसी तरह की स्ट्रैरटजी को अपना रही हैं। कंपनी की वित्त वर्ष 2016-17 के नतीजों का ऐलान करते हुए उन्होंछने यह बात कही। हालांकि, टाटा मोटर्स के मैनेजमेंट ने साफ किया है कि छंटनी का असर कामगारों की नौकरियों पर नहीं पड़ेगा।
और कंपनियां भी दिखा चुकी है कर्मचारियों को बाहर का रास्ता
टाटा मोटर्स ही एकमात्र कंपनी नही जिसने कर्मचारियों को निकाला है। बीते कुछ महीनों में सॉफ्टवेयर सहित कई सेक्टर की कंपनियों ने अपने कर्मचारियों की छंटनी की है। अमेरिकी नीतियों में बदलाव से लेकर स्वचलित तकनीक के बढ़ते इस्तेमाल को इसकी वजह माना जा रहा है। इंजीनियरिंग सेक्टर की बड़ी कंपनी लार्सन एंड ट्यूब्रो ने मौजूदा वित्तीय साल के पहले हिस्से में 14 हजार कर्मचारियों की नौकरी खत्म करने का ऐलान किया था। एचडीएफसी बैंक इसी साल 10 हजार से ज्यादा कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा चुका है। सॉफ्टवेयर सेगमेंट में करीब 50 हजार नौकरियां जा चुकी हैं।
मिड साइज़ कर्मचारियों की नौकरी नही होगी प्रभावित
टाटा मोटर्स के मैनेजमेंट ने कहा कि मिड साइज के कर्मचारियों की नौकरी प्रभावित नही हुई है। बस मैनेजर लेवल के कर्मचारियों की संख्याव 14 से घटाकर 5 कर दी गई है। टॉप ऑटोमेकर ने पिछले वित्ती य वर्ष के दौरान एक समीक्षा की और पुनर्गठन की संभावनाओं की पहचान की थी।