मुंबई। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) में उसके पांच सहयोगी बैंकों और भारतीय महिला बैंक के विलय के बाद पैदा हुए हालात में नई नौकरियों की संभावनाएं अगले कुछ साल के लिए बहुत कम हो गई हैं। बैंक के तिमाही नतीजों के बाद इसकी अध्यक्ष अरुंधती भट्टाचार्य ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि विलय के बाद बैंक के पास जरूरत से ज्यादा कर्मचारी हो गए हैं जिन्हें अभी समाहित करना है। जानकारों का मानना है कि अभी कम से कम तीन-चार सालों तक एसबीआई में बहुत कम लोगों की बहाली होगी।
अरुंधति भट्टाचार्य ने कहा- सहयोगी बैंकों के विलय के चलते हमारे पास पहले से ही कर्मचारियों की बहुतायत है। इसलिए हम इस साल बहुत ज्यादा भर्ती नहीं करने जा रहे हैं। उन्होंने आगे बताया- इस साल क्लर्कों की कोई भर्ती नहीं होगी। वैसे साल के अंत तक कुछ अधिकारियों की बहाली हो सकती है। एसबीआई ने हाल ही में अधिकारी स्तर के करीब 2,300 पदों पर भर्ती का विज्ञापन निकाला है।
विलय से ठीक पहले यानी मार्च के अंत में एसबीआई में करीब 2.10 लाख कर्मचारी काम कर रहे थे। वहीं पांचों सहयोगी बैंकों और भारतीय महिला बैंक में करीब 70 हजार कार्यरत कर्मचारी भी अब उसके पास आ गए हैं। अनुमान है कि इस साल करीब 13 हजार लोग बैंक से रिटायर हो जाएंगे जबकि 3,600 वीआरएस ले सकते हैं।
यह विलय नए वित्त वर्ष यानी एक अप्रैल, 2017 से प्रभावी हुआ था। भारतीय स्टेट बैंक के पांच सहयोगी बैंकों में स्टेट बैंक आॅफ बीकानेर एंड जयपुर (एसबीबीजे), स्टेट बैंक आॅफ हैदराबाद (एसबीएच), स्टेट बैंक आॅफ मैसूर (एसबीएम), स्टेट बैंक आॅफ पटियाला (एसबीपी) और स्टेट बैंक आॅफ त्रावणकोर (एसबीटी) शामिल हैं।