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GST लागू होने के बाद महंगे होंगे इम्पोर्टेड सामान

By Dabangdunia News Service | Publish Date: Apr 26 2017 9:48AM | Updated Date: Apr 26 2017 9:48AM
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नई दिल्ली। राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने कहा कि देश में 01 जुलाई से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने के बाद आयातित सामान महंगे हो जाएंगे जिसका फायदा घरेलू कंपनियों को मिलेगा।
 
हालांकि, उन्होंने नई कर व्यवस्था से महंगाई बढ़ने की आशंका को खारिज कर दिया। अधिया ने जीएसटी पर संवाददाताओं के लिए आयोजित एक कार्यशाला में कहा कि नई कर व्यवस्था में आयात पर सीमा शुल्क पहले की तरह बना रहेगा और साथ ही आयातित उत्पादों पर जीएसटी के स्लैब के हिसाब से भी कर लगाया जाएगा।
 
उन्होंने कहा कि इससे आयातित उत्पाद महंगे होंगे और घरेलू बाजार में भारतीय कंपनियां ज्यादा प्रतिस्पर्द्धी होंगी जिससे मेक इन इंडिया को बढ़ावा मिलेगा।
 
जीएसटी लागू करने वाले अन्य देशों में महंगाई बढ़ने के संदर्भ में उन्होंने कहा कि भारत में इससे मुद्रास्फीति नहीं बढ़ेगी क्योंकि यहां पहले से ही बहुस्तरीय कर प्रणाली मौजूद है।
 
उन्होंने कहा कि जिन देशों में जीएसटी लागू करने से महंगाई बढ़ी है वहां ऐसा एक स्तरीय कर प्रणाली से बहुस्तरीय कर प्रणाली अपनाने के कारण हुआ है।
 
देश में मूल्य वर्द्धित कर (वैट) लागू किए जाने के समय से ही बहुस्तरीय कर प्रणाली है इसलिए इससे मुद्रास्फीति बढ़ने का खतरा नहीं है। जीएसटी में भी अनेक स्तरों पर कर संग्रह होगा, लेकिन यह एकल कर होगा।
 
अधिया ने कहा कि निर्यात की जाने वाली वस्तुओं के लिए जीएसटी में शून्य प्रतिशत कर होने से भारतीय निर्यातक कंपनियों को फायदा होगा। सस्ता होने के कारण उनके उत्पाद वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्द्धी होंगे।
 
 उन्होंने कहा कि स्थानीय निकायों को चुंगी तथा अन्य शुल्कों के रूप में मिलने वाले राजस्व का नुकसान जरूर होगा। इसकी भरपाई के लिए संभव है कि वे प्रॉपर्टी पर कर और जनोपयोगी सेवाओं के शुल्क बढ़ा दें।
 
साथ ही स्थानीय निकायों द्वारा लगाए जाने वाले मनोरंजन कर को भी जीएसटी में समाहित नहीं किया गया है। इससे भी उन्हें राजस्व प्राप्ति हो सकेगी। 
 
राजस्व सचिव ने कहा कि जीएसटी की तैयारी पूरी हो चुकी है और किस उत्पाद अथवा सेवा को किसी स्लैब में रखना है यह भी जल्द तय कर लिया जाएगा। कर जमा कराने वाले मौजूदा करदाताओं में 71 प्रतिशत ने जीएसटी के लिए पंजीकरण करा लिया है।
 
छोटे व्यापारियों, कारोबारियों एवं सेवा प्रदाताओं को किसी प्रकार की समस्या न/न हो इसके लिए वस्तु एवं सेवा कर नेटवर्क (जीएसटीएन) ने दो सॉफ्टवेयर उपकरण तैयार किए हैं।
 
यदि कारोबारी अपना रिकॉर्ड इन सॉफ्टवेयरों पर रखता है तो महीने के अंत में उसका जीएसटी रिटर्न अपने आप तैयार हो जाएगा। इसके बाद सिर्फ पांच मिनट के लिए इंटरनेट से जुड़कर जीएसटीएन के पोर्टल पर रिटर्न अपलोड किया जा सकेगा। एक उपकरण जावा पर और दूसरा एमएस एक्सेल पर आधारित है। 
 
जीएसटीएन के अलावा बोली के आधार पर 34 जीएसटी सुविधा प्रदाताओं का चयन किया गया है जो इसी तरह के अन्य उपकरण तैयार करेंगे। दूसरे चरण में और सुविधा प्रदाताओं का चयन किया जायेगा।
 
इसके अलावा जीएसटी प्रैक्टिशनर कारोबारियों की मदद करेंगे। केंद्र तथा राज्य सरकारों के भवनों में रिटर्न भरने में मदद के लिए केंद्र बनाने की भी योजना है। साथ ही स्थानीय भाषाओं में हेल्पलाइन नंबर भी शुरू किये जाएंगे।
 
सोने के लिए जीएसटी में होगी विशेष दर
देश भर में 01 जुलाई से लागू होने वाले वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) हीरे, सोने तथा अन्य कीमती धातुओं पर विशेष दरें लागू होंगी जिन पर फैसला बाद में किया जाएगा।
 
राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने कहा कि हीरे, सोने तथा कीमती आभूषणों के लिए इस्तेमाल होने वाली अन्य धातुओं पर कर की दर जीएसटी के चार स्लैबों से अलग होंगी।
 
उन्होंने बताया कि यह दर- दो प्रतिशत, चार प्रतिशत या छह प्रतिशत - कुछ भी हो सकती है जिसके बारे में फैसला बाद में किया जाएगा। जीएसटी में कर के चार स्लैब तय किए गए हैं। पहला स्लैब पांच प्रतिशत, दूसरा 12 प्रतिशत, तीसरा 18 प्रतिशत और चौथा 28 प्रतिशत का है।
 
अधिया ने कहा कि हीरे और सोने पर कर विशेष दर तय की जाएगी। जीएसटी के प्रावधानों के बारे में उन्होंने कहा कि इसमें सिर्फ पांच पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है। इसमें कच्चा तेल, पेट्रोल, डीजल, विमान ईंधन और प्राकृतिक गैस शामिल हैं।
 
हालांकि, इन्हें जीएसटी के दायरे में शामिल करने के बारे में हर वर्ष समीक्षा की जाएगी। इन उत्पादों से राज्य सरकारों को होने वाली भारी आमदनी और संभावित बड़े नुकसान की आशंका के मद्देनजर इन्हें फिलहाल जीएसटी से बाहर रखा गया है।
 
शराब पर तथा स्थानीय निकायों द्वारा वसूले जाने वाले मनोरंजन कर को पूरी तरह से जीएसटी से बाहर रखा गया है जबकि तंबाकू के लिए विशेष प्रावधान करते हुए इसे जीएसटी में रखने के बावजूद केंद्र सरकार को इस पर भारी उपकर लगाने की अनुमति दी गई है।
 
राजस्व सचिव ने बताया कि पहले पांच साल तक यह उपकर साझा झोली में जाएगा जिससे राज्यों को होने वाले राजस्व नुकसान की भरपाई की जाएगी।
 
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