नई दिल्ली। फिनांस बिल का एक नियम आपकी जेब पर भारी पड़ सकता है। दरअसल इस नियम में कर्मचारियों की बचत पर इनकम टैक्स लगाने का प्रावधान है। वर्तमान में अगर कोई व्यक्ति साल में 2.5 लाख रूपए या इससे अधिक कमाता है तो उसे आयकर देना होता है, लेकिन 1 जून से जिस कर्मचारी का सालाना रिटायरमेंट सेविंग 30 हजार रूपए से ज्यादा है और वह पांच साल पूरे होने से पहले पीएफ अकाउंट से पैसा निकालता है तो उसे 10.3 फीसदी टैक्स या अधिकतम 30.6 मार्जिनल रेट का भुगतान करना होगा।
मोदी सरकार ने फाइनेंस बिल में एक ऐसा क्लॉज जोड़ा है जिससे देश के करोड़ों कर्मचारियों की रिटायरमेंट सेविंग्स आयकर के दायरे में आ जाएगी। यह खबर अंग्रेजी अखबार द इकोनॉमिक टाइम्स ने दी है।
नए सेक्शन 192ए के अनुसार, जिन कर्मचारियों के पास करदाताओं की पहचान के लिए बना पैन कार्ड नहीं है, उनके प्रविडेंट फंड से टैक्स अधिकतम दर से काटा जाएगा। इतना ही नहीं अधिक बचत और इनकम टैक्स का भुगतान करने वाले कर्मचारियों को भी अपने वे रिटर्न दोबारा फाइल करने होंगे जहां उन्होंने ईपीएफ कॉन्ट्रीब्यूशन के लिए क्लेम किया था।
पीएफ ऑफिस के अधिकारियों का कहना है कि ईपीएफ ऑर्गनाइजेशन के 90 फीसदी यानी करीब 8.5 करोड़ लोगों के पास पैन कार्ड नहीं है। ऐसे में उन्हें अपनी बचत पर 'हद से ज्यादा और नाजायज' तौर पर टैक्स का भुगतान करना होगा। ईपीएफओ बोर्ड के अध्यक्ष और रोजगार मंत्री बालेंद्रु दत्राये ने पिछले महीने वित्त मंत्रालय के समक्ष इस मसले को उठाया था।
सरकार के इस फैसले से पीएफ दफ्तर के अधिकारी चिंतित हैं। उनका कहना है कि Employees' Provident Fund Organisation के 8.5 करोड़ सदस्यों में 90 फीसदी के पास पैन कार्ड नहीं है और नए फैसले के कारण उन्हें अपने बचत पर ज्यादा टैक्स चुकाना पड़ेगा।