नई दिल्ली। राष्ट्रीय कंपनी लॉ अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने रियलटी कंपनी रहेजा डेवलपर्स पर गठित अंतरित रेजोल्यूशन पेशेवर (आईआरपी) को तत्काल प्रभाव से समाप्त करने के साथ ही उसके प्रबंधन को फिर से कंपनी बोर्ड को सौंपने का आदेश दिया है। एनसीएलएटी के न्यायमूर्ति एस जे मुखोपाध्याय की पीठ ने रहेजा डेवलपर्स द्वारा एनसीएलटी के फैसले के विरूद्ध दायर याचिका पर यह आदेश दिया है। एनसीएलएटी का यह मामला गुड़गांव में रहेजा समूह की संपदा परियोजना से जुड़ी थी।
हालाँकि, पहले ही दावा, प्रकाशन और सीओसी के गठन पर रोक लगा दी गई थी, लेकिन इस अंतरिम अवधि में एक आईआरपी नियुक्त किया गया था। पीठ ने अपने आदेश में रहेजा को स्थगन (मोरेटोरियम) के सभी नियमों से मुक्त करते हुये कंपनी को निदेशक मंडल (बोर्ड) के माध्यम से तत्काल प्रभाव से कार्य करने की अनुमति प्रदान की है।
कंपनी ने शुक्रवार को कहा कि एनसीएलएटी के इस फैसले से उसे और उसके 10,000 से अधिक ग्राहकों को राहत मिलने की उम्मीद है। रहेजा डेवलपर्स ने फ्लैटों की डिलीवरी में देरी के लिए होमबॉयरों शिल्पा जैन और आकाश जैन द्वारा दायर याचिका पर एनसीएलटी के आदेश के खिलाफ 20 अगस्त, 2019 को एनसीएलएटी का रुख किया था। इन दोनों खरीदारों ने अगस्त 2012 में रहेजा की परियोजना संपदा में फ्लैट खरीदे थे और अगस्त 2015 में डिलीवरी का वादा किया गया था लेकिन बाद डेवलपर नवंबर 2016 के अंत में कब्जा देने की बात कही थी। इसको खरीदारों ने एनसीएलटी में चुनौती दी थी और फैसला उनके पक्ष में दिया गया था। डेवलपर ने एनसीएलटी के निर्णय को एनसीएलएटी में चुनौती दी थी।